धार। आदिवासी बाहुल्य धार जिले में आजादी के बाद भी 800 से अधिक गांव ऐसे है, जहां पर शुद्ध पानी पीने के साधन उपलब्ध नहीं है। इसका परिणाम है कि इन गांवों में रहने वाली आबादी को फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसकी वजह से ग्रामीण और बच्चे फ्लोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिले के 8 हजार बच्चे और ग्रामीण इस बीमारी से पीडि़त हैं। हालांकि समय-समय पर इनके उपचार और दवाईयों के वितरण की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग करता है, लेकिन इस बीमारी की खात्मे के लिए सबसे जरूरी पीने के पानी के उपलब्ध संसाधनों में पानी की शुद्धता पर काम करने की जरूरत है।
इसी कड़ी में जल जीवन मिशन के तहत काम हो तो रहा है, लेकिन धरातल पर उसका कुछ खास फायदा अब तक नहीं मिल पाया है। ऐसे में लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना ही अगला कदम बन गया है और इसका जिम्मा स्वास्थ्य विभाग के पास है।
जिला फ्लोरोसिस कंसल्टेंट डॉ. एमडी भारती द्वारा लगातार जिले में शिविरों का आयोजन कर फ्लोरोसिस पीड़ित बच्चों और ग्रामीणों की पहचान कर उन्हें दवाइयां दी जाती हैं। अब इससे एक कदम आगे बढ़कर लोगों को जागरूक करने के लिए पहली बार सामुदायिक रेडियो का सहारा लिया गया है।
धार कलेक्टर प्रियंक मिश्रा के निर्देशानुसार व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शिरीष रघुवंशी के मार्गदर्शन में धार जिले के नालछा विकासखंड के वन्या सामुदायिक रेडियो स्टेशन 90.8 FM पर फ्लोरोसिस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए डॉ. भारती द्वारा सभी श्रोताओं को फ्लोरोसिस बीमारी के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया।
इसमें बताया कि फ्लोराइड की मात्रा 1 पीपीएम से ज्यादा पानी में पीने से फ्लोरोसिस रोग होता है। अतः हमें 1 पीपीएम से ज्यादा फ्लोराइड वाले पानी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और पानी की जांच पीएचई विभाग या जिला फ्लोरोसिस लैब में फ्लोराइड की जांच निःशुल्क करवाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि 1 पीपीएम से ज्यादा फ्लोराइड वाले पानी पीने से फ्लोरोसिस बीमारी होती है जो तीन तरह से हो सकती है जिसमें डेंटल फ्लोरोसिस, स्केलेटल फ्लोरोसिस एवं नॉन स्केल्टन फ्लोरोसिस शामिल हैं।
डॉ. भारती ने बताया कि जो मरीज फ्लोरोसिस बीमारी से ग्रसित हैं उन्हें कैल्शियम, विटामिन सी एवं मल्टीविटामिन की दवाइयों का सेवन करना चाहिए। साथ ही दूध-दही व हरी सब्जियों का इस्तेमाल अपने दैनिक जीवन में करना चाहिए।
धार जिले में करीब 802 गांव फ्लोराइड से प्रभावित हैं व करीब 9 हजार मरीज डेंटल फ्लोरोसिस से चिन्हित किए गए हैं। इनमें से जितने मरीज चिन्हित किए गए उन्हें आवश्यक उपचार के रूप में दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं।
राष्ट्रीय फ्लोरोसिस निवारण एवं नियंत्रण कार्यक्रम के तहत एक कंकाली मरीज की सर्जरी इंदौर के एमवाय अस्पताल में की गई जोकि मध्यप्रदेश में इस तरह की पहली सर्जरी है।