धार। जिले में संचालित हो रहे वन स्टॉप सेंटर ने तीन परिवार की मुस्कान लौटाई है। जिला कलेक्टर प्रियंक मिश्रा के निर्देशानुसार एवं महिला बाल विकास विभाग जिला कार्यक्राम अधिकारी सुभाष जैन के मार्गदशन में केन्द्र सकार संचालित वन स्टॉप सेंटर (सखी) किसी भी तरह की हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं के लिए 24 घंटे सहायता प्रदान करता है।
इस प्रयास में वन स्टॉप सेंटर (सखी) ने तीन परिवारों को फिर से मिलवाकर उनके चेहरो की मुस्कान पुनः लौटाई। वन स्टॉप सेंटर प्रशासक ज्योत्सना ठाकुर द्वारा आवेदिकाओं से बात कर उनकी समस्याएं जानी गईं।
तत्पश्चात उन्हें विश्वास दिलया गया कि उनकी समस्याओं का निराकरण करने यथासंभव प्रयास किया जाएगा। प्रथम प्रकरण में आवेदिका की उम्र लगभग 25 वर्ष थी एवं उसकी शादी को तीन साल ही हुए हैं, लेकिन छोटी-छोटी बातों पर पति से लड़ाई-झगड़ा होता रहता था।
ससुराल वालों द्वारा भी छोटी-छोटी गलतियों पर भला-बुरा कहा जाता था। पति द्वारा चरित्र शंका कर प्रार्थिया को कहीं आने-जाने नहीं दिया जाता था। घटना के समय प्रार्थिया अत्यधिक बीमार थी व पति शहर से बाहर गये हुए थे। अतः प्रार्थिया के भाई द्वारा अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
पति जब बाहर से लौटे तो दोनों पक्षों में कोई गलतफहमी हुई और पिछले लगभग एक वर्ष से प्रार्थिया अपने मायके में ही अपने पति के द्वारा ले जाने का इंतजार कर रही थी। बात करने का प्रयास किया गया तो पति-पत्नी की आपस में कोई बात नहीं हुई।
इस बीच महिला को पता चला कि पति द्वारा एकतरफा तलाक ले लिया गया है और वह अब अपनी पत्नी को नहीं रखना चाहता था। तब परेशान होकर महिला ने वन स्टॉप सेंटर पर आवेदन देकर सहायता मांगी।
दोनों पक्षों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया। काउंसलर चेतना राठौर द्वारा दोनों पक्षों की चार से पांच बार काउंसिलिंग की गई। दोनों पक्षों को समझाईश दी गई कि आपसी गलतफहमियों को दूर करें।
दोनों पक्षों की समझाईश के बाद एक-दूसरे के साथ प्यार से रहने व सम्मान करने का आश्वासन दिया गया। पति द्वारा लिए गए एकतरफा तलाक को भी निरस्त स्वयं पति द्वारा ही करवा दिया गया। दोनों पक्ष खुशी-खुशी वन स्टॉप सेंटर (सखी) से गये।
द्वितीय प्रकरण में प्रार्थिया की उम्र लगभग 35 वर्ष थी जो लगभग एक वर्ष से अपने पति से अलग अपने 15 वर्षीय बेटे के साथ कमरा किराये पर लेकर रह रही थी क्योंकि पति अत्यधिक शराब पीकर लड़ाई-झगड़ा व मारपीट करता था।
घर की किसी भी महिला का सम्मान नहीं करता था। अपनी मां को भी नशे में गालियां देता था। पत्नी मेहनत कर जितना पैसा कमाती थी, सब चोरी कर लेता था। स्वयं भी मजदूरी करता था, लेकिन घर का खर्चा नहीं देता था।
महिला की आवश्यकता का ध्यान नहीं रखता था। सारा पैसा शराब में खर्चा कर देता था। घटना वाले दिन पति द्वारा उसके नाम की जमीन बेचने की बात पर दोनो में कहासुनी हुई और प्रार्थिया को घर से निकाल दिया। प्रार्थिया अपने बेटे को लेकर वहां से चली गई।
एक वर्ष बाद प्रार्थिया ने वन स्टॉप सेंटर (सखी) पर शिकायत दर्ज करवाई। दोनों पक्षों को 2 से 3 बार बुलाकर काउंसिलिंग की गई। समझाईश देकर पति को शराब छोड़ने व अपनी पत्नी व बच्चे को प्यार व सम्मान से रखने के लिए समझाया गया व प्रत्येक महिला का सम्मान करने की हिदायत दी गई। दोनों पक्षों का समझौता करवाया गया और पति द्वारा शराब ना पीने का वादा प्रार्थिया से किया गया।
तृतीय प्रकरण में प्रार्थिया के विवाह को सिर्फ एक वर्ष ही हुआ था। वह अपने सास-ससुर द्वारा प्रताड़ित किए जाने व घर से बाहर निकाले जाने का दबाव बनाने की शिकायत वन स्टॉप सेंटर में की।
महिला ने बताया कि उनके पति कोई काम नहीं करते और वह नौकरी कर अपना खर्चा चलाती है। अतः सास-ससुर ने उन्हे उसी घर में अलग रहने के लिए एक कमरा दे दिया है। कुछ दिन तो सब ठीक चल रहा था, लेकिन उसके बाद बेटे की गलतियों के कारण उन्हें घर खाली कर अन्य जगह जाने के लिए सास-ससुर द्वारा दबाव बनाया जाने लगा।
प्रार्थिया ने कई बार सास-ससुर से विनती की कि थोड़े समय उन्हें वही रहने दिया जाए। जब दोनों कमाने लगेंगे तो घर कहीं और लेकर रहेंगे, लेकिन सास-ससुर रोज ताने देते जिससे प्रताड़ित हो प्रार्थिया द्वारा शिकायत दर्ज की गई।
दोनों पक्षों को काउंसिलिंग के लिए दो बार बुलवाया गया। दोनों पक्षों को समझाईश दी गई। समझाईश के बाद ससुर द्वारा बहु को बेटी की तरह रखने व प्यार व सम्मान देने का भरोसा दिलवाया गया। वन स्टॉप सेंटर से दोनों पक्ष चेहरे पर मुस्कान लिए अपने घर लौटे।
वन स्टॉप सेंटर के स्टाफ आरक्षक संतोषी कटारे, केस वर्कर लीला रावत, सरिता चौहान, देवी सिंह बामनियां इस दौरान मौजूद रहते थे।