शरबती गेहूं सहित नौ उत्पाद को मिला जीआई टैग, किसानों में जागी आस


नरसिंहपुर के किसान भी शरबती गेहूं जाते हैं लेकिन उसकी मात्रा फिलहाल कम है।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Published On :

नरसिंहपुर। मध्य प्रदेश ने जी आई का परचम लहराया है। प्रदेश के कई उत्पादों को यह टैग दिया गया है। प्रदेश का सुप्रसिद्ध शरबती गेहूं अब देश की बौद्धिक संपदा में सम्मिलित हो गया है। यही वजह है कि शरबती गेहूं उगाने वाले किसान अब भविष्य की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं।

नरसिंहपुर में भी शरबती गेंहू बोया जाता है। सुजाता, जे – 326, बंशी, ग्वाला आदि किस्मों के नाम से यह शरबती गेहूं जिले में सीमित मात्रा में बोया जाता है। इसकी वजह है कि किसान समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए सबसे अधिक जेएस – 322 किस्म के गेहूं की बुआई करता है जिसमें उत्पादन अच्छा मिलता है।  इसके अलावा जबलपुर, छिंदवाड़ा में शरबती गेहूं का उत्पादन अधिक है।

नरसिंहपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ एसआर शर्मा के अनुसार जिले में कई तरह की गेहूं की कई किस्में है जिसमें करनाल की प्रमुख किस्म है लेकिन शरबती फिर भी कम है। कृषि उत्पाद श्रेणी में शरबती गेंहू सहित रीवा के सुंदरजा आम को हाल ही में जी आई रजिस्ट्री द्वारा पंजीकृत किया गया है। खाद्य सामग्री श्रेणी में मुरैना की गजक ने जीआई टैग प्राप्त किया है।

हस्तशिल्प श्रेणी में प्रदेश की गोंड पेंटिंग, ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन, डिंडौरी के लोहशिल्प, जबलपुर के पत्थर शिल्प, बालाघाट वारासिवनी की हैंडलूम साड़ी तथा उज्जैन के बटिक प्रिंट्स को भी जीआई टैग प्राप्त हुआ है। गोंड पेंटिंग डिंडौरी का जीआई टैग आदिम जाति कल्याण विभाग के वन्य संस्थान को दिया गया है। सीएम श‍िवराज सिंह चौहान ने इस पर खुशी जताई है।

प्रदेश के 9 उत्पादों को केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के इंडस्ट्री प्रमोशन एवं इंटरनेशनल ट्रेड द्वारा जी आई टैग दिया गया है। जिसमें शरबती गेंहू के साथ हस्तशिल्प उत्पाद भी शामिल हैं।

इन उत्पादों में आदिवासी गुड़िया, पिथोरा पेंटिंग, काष्ठ मुखौटा, ढक्कन वाली टोकरी, और चिकारा वाद्य यंत्र के जीआई आवेदन विचाराधीन हैं। सीहोर जिले के बुधनी के लकड़ी के खिलौने, अलीराजपुर जोबट की पंजा दरी तथा नांदना प्रिंट तारापुर जिला नीमच को भी जीआई टैग प्रदान कराने की कार्रवाई की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि जनवरी 2022 में इंदौर में आयोजित प्रवासी भारतीय समिट में कुटीर एवं ग्रामोद्योग, टेक्सटाइल समिति, भारत शासन तथा नाबार्ड के मध्य जीआई टैग संबंधी कार्रवाई के लिए त्रिस्तरीय अनुबंध हुआ था। शासन द्वारा अन्य उत्पादों के लिए भी जीआई टैग के लिए आवेदन प्रस्तुत किए जा रहे हैं।

यह है जीआई टैग

जी आई टैग भारत में भौगोलिक संकेतक टैग का संक्षिप्त नाम है। भारत जैसी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए जीआई सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण और आवश्यक है। भारत की संसद ने भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम 1999 पारित किया। यह अधिनियम सितंबर 2003 से लागू हुआ। यह कंट्रोलर जनरल आफ ट्रेड मार्क, डिजाईन एंड ट्रेड मार्क चेन्नई द्वारा दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि जीआई प्रमाणित प्रत्येक उत्पाद पर जीआई प्रमाणक (टैग) लगाया जाता है। इन्हीं कारणों से अंतरराष्ट्रीय मार्केट में जीआई टैग प्राप्त उत्पादों का व्यापार निरंतर बढ़ रहा है।