नई दिल्ली। पीएम मोदी ने कहा था- ‘न्यू इंडिया उद्यमशीलता की ऊर्जा से भरपूर है और स्टैंड-अप इंडिया पहल इस भावना को दिशा देगा।’ वास्तव में ऐसा ही हुआ है। दरअसल, ‘स्टैंड-अप इंडिया’ योजना के 7 साल बेमिसाल रहे हैं। इस दौरान, इस योजना ने कई महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किए और कई नए आयाम स्थापित किए हैं।
वैश्विक त्रासदी कोविड-19 के कठिन दौर में भी इस योजना नें देशभर में अपने कार्यों को निर्बाध रूप से जारी रखा और अपने लक्षित लाभार्थी वर्ग को ऋण उपलब्ध कराया।
इस दौरान, जहां एक ओर विश्व के अग्रणी विकसित और विकासशील देश कई प्रकार की आर्थिक चुनौतियों से रूबरू रहे, वहीं भारत अपनी पुख्ता नीतियों एवं मजबूत कार्ययोजना के बल पर आर्थिक रूप से सशक्त हो कर विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन कर उभरा। इस सन्दर्भ में, स्टैंड अप इंडिया जैसी योजनाओं नें भारत के युवा वर्ग के लिए तरक्की के रास्ते खोल दिए।
2025 तक के लिए योजना को मिला विस्तार –
जी हां, यह योजना देश में उभरते उद्यमियों को नई उड़ान देने में काफी मददगार साबित हुई है। आर्थिक सशक्तिकरण और रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित करते हुए जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए ‘5 अप्रैल 2016’ को ‘स्टैंड अप इंडिया’ योजना शुरू की गई थी। अब इस योजना को वर्ष 2025 तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
18 वर्ष से अधिक की महिलाओं के सपने हो रहे पूरे –
‘स्टैंड-अप इंडिया’ को 18 वर्ष से अधिक महिलाओं, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए लॉन्च किया गया था।
योजना के तहत इन महिलाओं को 10 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का इस बैंक ऋण दिया जाता है। आज इस योजना से ऊर्जावान, उत्साही और महत्वाकांक्षी SC, ST और महिला उद्यमियों को अपने सपनों को हकीकत में बदलने की शक्ति मिल रही है।
अभी तक 1.8 लाख से अधिक ऋण हुए स्वीकृत –
इस अवसर पर, केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “यह मेरे लिए गर्व और संतोष की बात है कि 1.8 लाख से अधिक महिलाओं और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के 1.8 लाख से अधिक ऋण स्वीकृत किए गए हैं जिसके तहत कुल 40,710 करोड़ रुपए तक की ऋण राशि जारी की जा चुकी है। इसके योजना के माध्यम से करीब 1.44 लाख से अधिक महिलाएं लाभान्वित हो चुकी हैं।
देश में तैयार हुआ एक इकोसिस्टम –
इस योजना ने देश में एक इको-सिस्टम बनाया है जो सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की बैंक शाखाओं से ऋण प्राप्त करने के माध्यम से ग्रीन फील्ड उद्यम स्थापित करने के लिए एक सहायक वातावरण प्रदान करता है और उसे आगे जारी रखता है।
स्टैंड-अप इंडिया योजना अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है।
उद्यमशीलता का प्रदर्शन करने के लिए इच्छुक उद्यमियों को मिले पंख –
स्टैंड-अप इंडिया योजना ने उद्यमियों के असेवित/अल्पसेवित वर्ग (Unserved / Under-served Category) के लिए परेशानी मुक्त किफायती ऋण तक पहुंच सुनिश्चित करके कई लोगों के जीवन को छुआ है।
इस योजना ने इच्छुक उद्यमियों को अपनी उद्यमशीलता का प्रदर्शन करने के लिए पंख प्रदान किए हैं और संभावित उद्यमी आर्थिक विकास को गति देने और नौकरी सृजक बनकर एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
80% से अधिक ऋण महिलाओं को किए प्रदान –
स्टैंड-अप इंडिया योजना वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय मिशन के तीसरे स्तंभ पर आधारित है, जिसका नाम है “फंडिंग द अनफंडेड” योजना। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की शाखाओं से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों के लिए निर्बाध ऋण प्रवाह की उपलब्धता सुनिश्चित की है।
यह योजना उद्यमियों, उनके कर्मचारियों और उनके परिवारों के जीवन स्तर में सुधार लाने में सहायक रही है। इस योजना के तहत दिए गए 80% से अधिक ऋण महिलाओं को प्रदान किए गए हैं।
स्टैंड-अप इंडिया का उद्देश्य –
- – महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना
- – विनिर्माण, सेवाओं या व्यापार क्षेत्र और कृषि से संबद्ध गतिविधियों में ग्रीनफील्ड उद्यमों के लिए ऋण प्रदान करें
- – अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की प्रति बैंक शाखा में कम से कम एक SC/ST उधारकर्ता और कम से कम एक महिला उधारकर्ता को 10 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच बैंक ऋण की सुविधा प्रदान करना
स्टैंड-अप इंडिया क्यों जरूरी –
- स्टैंड-अप इंडिया योजना को उद्यम स्थापित करने, व्यवसाय में सफल होने के लिए समय-समय पर आवश्यक ऋण और अन्य सहायता प्राप्त करने में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए डिजाइन किया गया है।
- इसलिए यह योजना एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रयास करती है जो व्यापार करने में लक्षित क्षेत्रों को एक सहायक वातावरण प्रदान करती है और जारी रखती है।
- इस योजना का उद्देश्य सभी बैंक शाखाओं को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं से कर्ज लेने वालों को अपना ग्रीनफील्ड उद्यम स्थापित करने के लिए ऋण देने के लिए प्रोत्साहित करना है।
इच्छुक आवेदक कहां कर सकते हैं आवेदन –
- – सीधे शाखा में
- – स्टैंड-अप इंडिया पोर्टल (www.standupmitra.in) के माध्यम से
- – अग्रणी जिला प्रबंधक (एलडीएम) के माध्यम से
कौन हैं इस योजना के तहत ऋण लेने के लिए पात्र –
- – अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और/या 18 वर्ष से अधिक आयु की महिला उद्यमी
- – योजना के तहत ऋण केवल ग्रीन फील्ड परियोजनाओं के लिए उपलब्ध हैं। ग्रीन फील्ड, इस संदर्भ में, निर्माण, सेवाओं या व्यापार क्षेत्र और कृषि से संबद्ध गतिविधियों में लाभार्थी का पहली बार उद्यम दर्शाता है
- – गैर-व्यक्तिगत उद्यमों के मामले में, 51% शेयरधारिता और नियंत्रण हिस्सेदारी या तो SC/ST या महिला उद्यमी के पास होनी चाहिए
- – उधारकर्ता किसी भी बैंक/वित्तीय संस्थान के लिए चूककर्ता नहीं होना चाहिए
- – इस योजना में ‘15% तक’ मार्जिन मनी की परिकल्पना की गई है। इसके तहत किसी भी मामले में, उधारकर्ता को परियोजना लागत का कम से कम 10% अपने योगदान के रूप में लाना होगा।
हैंड होल्डिंग सपोर्ट –
ऋण के लिए संभावित उधारकर्ताओं को बैंकों से जोड़ने के अलावा, स्टैंड अप इंडिया योजना के लिए भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) द्वारा विकसित ऑनलाइन पोर्टल www.standupmitra.in भी संभावित उद्यमियों को व्यावसायिक उद्यम स्थापित करने के उनके प्रयास में मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है।
8,000 से अधिक हैंड होल्डिंग एजेंसियों के नेटवर्क के माध्यम से, यह पोर्टल संभावित उधारकर्ताओं को विशिष्ट विशेषज्ञता वाली विभिन्न एजेंसियों से जोड़ने के लिए चरण दर चरण मार्गदर्शन की सुविधा प्रदान करता है। इनमें स्किलिंग सेंटर, मेंटरशिप सपोर्ट, एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम सेंटर, डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्रीज सेंटर, साथ में उनके पते और संपर्क नंबर शामिल हैं।
21 मार्च 2023 तक योजना की उपलब्धियां –
योजना की शुरुआत के बाद से 21 मार्च 2023 तक स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत 180,636 खातों में 40,710 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। 21 मार्च 2023 तक स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों के लिए स्वीकृत कुल ऋण राशि का विवरण नीचे दिया गया है…
महिलाएं- 33,152 करोड़ रुपये
अनुसूचित जाति- 5,625 करोड़ रुपये
अनुसूचित जनजाति- 1,932 करोड़ रुपये