नई दिल्ली। इंटरनेट की पहुंच को अंतिम छोर तक पहुंचाने के लिए भाषा से जुड़ी समस्याओं का वैश्विक समाधान तलाशा जा रहा है। इस प्रयास के मद्देनजर 28 मार्च को विश्व स्तर पर यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस डे मनाया जा रहा है।
इसका उद्देश्य शीर्ष तकनीकी और भाषा समुदायों, कंपनियों, सरकारों और डीएनएस उद्योग के हितधारकों को शामिल करना और जुटाना है। यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस डे के लाभों को बेहतर ढंग से समझने के लिए भारत के नेतृत्व में दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस आयोजन में 50 से अधिक देश पहले यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस डे को मनाने के लिए एक मंच पर साथ आएं हैं। कार्यक्रम में इंटरनेट की सुलभ पहुंच के साथ-साथ इस बात पर भी चर्चा हुई कि कैसे वे अपने सिस्टम को UA-तैयार बना सकते हैं।
‘यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस डे’ का तात्पर्य –
यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस डे जागरूकता फैलाने और प्रमुख हितधारकों के साथ ‘यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस (UA) को प्रोत्साहित करने के लिए स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समुदायों और संगठनों को एकजुट करने का अवसर होगा।
इस दिन में यूए प्रशिक्षण, जागरूकता और रणनीति सत्र शामिल होंगे जो यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस स्टीयरिंग ग्रुप, वैश्विक साझेदारों और क्षेत्रीय और स्थानीय संगठनों द्वारा आयोजित किए जाएंगे।
UA एक तकनीकी आवश्यकता है जो सभी मान्य डोमेन नाम और ईमेल पतों को सुनिश्चित करती है, चाहे स्क्रिप्ट, भाषा, या वर्ण की लंबाई कुछ भी हो, सभी इंटरनेट-सक्षम एप्लिकेशन, डिवाइस और सिस्टम द्वारा समान रूप से उपयोग किया जा सकता है।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की पहल –
भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा भारत के राष्ट्रीय इंटरनेट एक्सचेंज (NIXI) के माध्यम से इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइंड नेम्स एंड नंबर्स (ICANN) और यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस स्टीयरिंग ग्रुप (UASG) के सहयोग से आयोजित हुई।
इस कार्यक्रम ने केस स्टडीज, नेटवर्किंग अवसरों और हाई-प्रोफाइल टिप्पणियों की सुविधा प्रदान किया। दो दिवसीय कार्यक्रम नई दिल्ली के फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) के सभागार और मानेकशॉ सेंटर में आयोजित किया गया, जो इन-पर्सन और वर्चुअल उपस्थित लोगों के लिए खुला रहा।
27 और 28 मार्च को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य समावेशी और बहुभाषी इंटरनेट के लिए सहयोगी प्रयासों को बढ़ावा देना है। इस अनूठी पहल की केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी सराहना की थी।
भाषाई बाधाओं को तोड़ने का लक्ष्य –
भारत कई भाषाओं का घर है, जो 22 आधिकारिक भाषाओं में डोमेन नाम प्रदान करने में सफल रहा है और यह एक बड़ी उपलब्धि है। देश में सबसे अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं लेकिन यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भाषा बाधाएं इसे गैर-उपयोगकर्ताओं की सबसे बड़ी संख्या का आधार भी बनाती हैं जो अंग्रेजी नहीं बोलते हैं।
यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम न केवल इंटरनेट सेवाएं प्रदान करें बल्कि स्थानीय भाषा में ईमेल और वेबसाइट भी बनाएं। मौजूदा डिजिटल अंतर को पाटने के लिए एक बहुभाषी इंटरनेट यूजर इंटरफेस प्रदान करना महत्वपूर्ण है। सार्वभौमिक स्वीकृति के माध्यम से, हम गैर-इंटरनेट उपयोगकर्ताओं से जुड़ सकते हैं और देश और दुनिया भर में डिजिटल समावेशन को बढ़ावा दे सकते हैं।
भारत बना दुनिया के लिए अग्रदूत –
इंटरनेट की दुनिया में विशेष रूप से भारत तेजी से डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदल रहा है। इस वैश्विक स्वीकार्यता को ध्यान में रखते हुए डिजिटल समावेशन के लिए सार्वभौमिक स्वीकृति को बढ़ावा देने और प्रचार करने के लिए इस वर्ष ध्वजवाहक के रूप में चुना गया है।
इंटरनेट की दुनिया में किया जा रहा अपनी तरह का पहला प्रयास जागरूकता बढ़ाने, भाषा की बाधाओं को तोड़ने, एक बड़ी आबादी के लिए इंटरनेट को सुलभ बनाने और हर नागरिक को आर्थिक दायरे में लाने के लिए सार्थक और परिणामोन्मुख संवाद शुरू करने का बेहतरीन अवसर है। दुनिया ने यह विश्वास जताया है कि बहुभाषी इंटरनेट के लिए भारत का विजन साकार होगा और दुनिया के लिए एक सफल उदाहरण होगा।
डिजिटल डिवाइड को पाटने में सक्षम –
भारत ने जल्द ही 1 ट्रिलियन USD डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है और देश के लिए UA के साथ डिजिटल समावेशन के दायरे को बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
इसे प्राप्त करने से यह सुनिश्चित हो सकता है कि प्रत्येक भारतीय के पास किसी भी भाषा में डोमेन नाम और ईमेल पता चुनकर इंटरनेट की पूर्ण सामाजिक और आर्थिक शक्ति का अनुभव करने की क्षमता है जो उनकी रुचियों, व्यवसाय, संस्कृति, भाषा और लिपि के साथ सबसे अच्छी तरह से मेल खाती है।
यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस डे के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि यह एक अरब लोगों को ऑनलाइन लाने में मदद करने के साथ-साथ भाषा की बाधाओं को तोड़ देगा।