नई दिल्ली। केंद्र सरकार की मुफ्त टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी (eSanjeevani) का लाभ उठाने वालों की संख्या 10 करोड़ से अधिक हो गई है।
ई-संजीवनी भारत की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में दुनिया की सबसे बड़ी टेलीमेडिसिन सेवा है। ई-संजीवनी विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है।
इसके बाद से इसे स्वास्थ्य स्पेक्ट्रम में व्यापक रूप से लागू किया गया है और इसने हमारे देश में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को बदल दिया है।
ई-संजीवनी ओपीडी का मुख्य उद्देश्य डिजिटलीकरण की मदद से उन व्यक्तियों को स्वास्थ्य सलाह प्रदान करना है, जिनके लिए अस्पतालों का दौरा करना मुश्किल होता है।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, “10,00,00,000 टेली-परामर्श एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। मैं उन सभी डॉक्टरों की सराहना करता हूं जो भारत में एक मजबूत डिजिटल हेल्थ ईको-सिस्टम बनाने में सबसे आगे हैं।”
10,00,00,000 tele-consultations is a remarkable feat. I laud all those doctors who are at the forefront of building a strong digital health eco-system in India. https://t.co/jQaXERtLI9
— Narendra Modi (@narendramodi) February 17, 2023
वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर कहा कि देश के नागरिकों को घर बैठे एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह उपलब्ध करवाते हुए, देश ने आज 10 करोड़ ‘ई-संजीवनी टेली-कंसल्टेशन’ का लक्ष्य हासिल कर लिया है।
Working With 'Saturation Approach' to Ensure Quality Healthcare For All.
Reaching Across the Length & Breadth of the Country Through eSanjeevani.
Milestone of 10,00,00,000 Teleconsultations Achieved! pic.twitter.com/EWeuK4gBLU
— Dr Mansukh Mandaviya (मोदी का परिवार) (@mansukhmandviya) February 17, 2023
57 प्रतिशत से अधिक लाभार्थी महिलाएं –
टेली-परामर्श के डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से 115,234 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में 10 करोड़ रोगियों को 15,731 हब और 1,152 ऑनलाइन ओपीडी के माध्यम से सेवा दी गई। इसमें 229,057 चिकित्सा विशेषज्ञ और सुपर- टेलीमेडिसिन में प्रशिक्षित विशेषज्ञ शामिल थे। ई-संजीवनी के टेली-कंसल्टेशन लेने वालों में 57 प्रतिशत से अधिक लाभार्थी महिलाएं हैं और लगभग 12 प्रतिशत लाभार्थी वरिष्ठ नागरिक हैं।
ई-संजीवनी को अपनाने के मामले में अग्रणी 10 राज्य –
आंध्र प्रदेश (3,17,01,735), तमिलनाडु (1,23,74,281), पश्चिम बंगाल (1,23,11,019), कर्नाटक (1,12,93,228), उत्तर प्रदेश (54,98,907), महाराष्ट्र (47,80,259), तेलंगाना (45,91,028), मध्य प्रदेश (40,15,879), बिहार (32,20,415) और गुजरात (29,88,201)
ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म समाज के कमजोर वर्गों में बना रहा पहुंच –
ई-संजीवनी कमजोर वर्ग के लोगों के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। ऐसे लोग जो बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त नहीं कर पाते या किसी काम की वजह से डॉक्टर से समय पर परामर्श नहीं ले पाते हैं। ऐसे में ई-संजीवनी उनके लिए संजीवनी बनकर उभरी है। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से डॉक्टर के पास जाकर परामर्श लेने के स्थान पर रोगी घर बैठे ही चिकित्सीय लाभ उठा सकता है। इसमें दो तरह की टेलीमेडिसिन सेवाएं डॉक्टर-टू-डॉक्टर (ई-संजीवनी) और रोगी-से-डॉक्टर (ई-संजीवनी ओपीडी) टेली-परामर्श शामिल है।
अस्पतालों का बोझ हुआ कम –
इस सेवा के जरिए माध्यमिक और तृतीयक स्तर के अस्पतालों पर पड़ने वाला बोझ कम हुआ है। साथ ही जमीनी स्तर पर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी भी दूर हुई है। इसके अलावा ई-संजीवनी राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के अनुरूप, देश में डिजिटल स्वास्थ्य के इकोसिस्टम को भी मजबूत कर रहा है। केंद्र सरकार की इस राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ने डिजिटल स्वास्थ्य के मामले में शहरी और ग्रामीण भारत के बीच मौजूद अंतर को पाटकर भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को सहयोग देना शुरू कर दिया है।
आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन का हिस्सा –
ई-संजीवनी आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन का हिस्सा है और मूलतः दो वर्टिकल पर काम करता है। पहला वर्टिकल ई-संजीवनी AB-HWC टेली-परामर्श प्रदान करके ग्रामीण-शहरी डिजिटल स्वास्थ्य विभाजन की खाई को पाटने का प्रयास करता है। इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि आयुष्मान भारत योजना के सभी ई-लाभार्थी उन फायदों को प्राप्त करने में सक्षम हैं, जिनके वे वास्तव में हकदार हैं।
यह वर्टिकल Hub-and-Spoke model पर काम करता है। इस मॉडल को ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से 1,09,748 आयुष्मान भारत स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों (AB-HWC) तथा 14,188 चिकित्सा केंद्रों में सफलतापूर्वक लागू किया गया है।
दूसरा वर्टिकल ई-संजीवनी OPD है, जो ग्रामीण एवं शहरी दोनों तरह के क्षेत्रों में समान रूप से नागरिकों की प्राथमिक चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करता है। इसके माध्यम से स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप के जरिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जाता है, जिससे डॉक्टर के परामर्श को रोगी के निवास स्थान की परवाह किए बिना सुलभ बनाया जा सकता है।
तकनीक स्वास्थ्य क्षेत्र में नई क्रांति –
ई-संजीवनी स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई क्रांति बनकर उभरा है। भारत विश्व में डिजिटल स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी देश, क्योंकि हमारे पास दुनिया की सबसे अच्छी एवं आवश्यक शतप्रतिशत कवरेज वाली तकनीकी जनशक्ति है और हमारा डेटा दुनिया में सबसे सस्ता है।
15 अगस्त, 2020 को लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने भी उपचार में चुनौतियों को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी का विवेकपूर्ण उपयोग किए जाने पर जोर दिया था। केंद्र सरकार आज फार्मास्यूटिकल्स, डायग्नोस्टिक्स, अस्पतालों और बीमा क्षेत्र में काम करने वाले चिकित्सकों,पेशेवरों और आम लोगों को ध्यान में रखते हुए डिजिटलीकरण के लिए अपने प्रयासों की योजना बनाने पुरजोर कोशिश कर रही है।