नर्सिंग घोटाले की जांच की मांग कर रहे NSUI नेता को मिली जमानत, मंत्री विश्वास सारंग को दी जेल पहुंचाने की चेतावनी


मप्र में नर्सिंग घोटाला गंभीर होने के बावजूद खास चर्चाओं में नहीं रहा, सरकार ने भी इस पर खास गंभीरता नहीं दिखाई


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राजनीति Updated On :

भोपाल। नर्सिंग घोटाले में जांच की मांग कर रहे एनएसयूआई के छात्र नेता रवि परमार को रिहा कर दिया गया है। उन्हें बीस हजार रुपये के मुचलके पर ज़मानत मिली। परमार को बुधवार को उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वे मंत्री विश्वास सारंग के बंगले के बाहर नर्सिंग घोटाले में जांच की मांग कर रहे थे। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने कहा कि वे अपनी यह लड़ाई जारी रखेंगे।  परमार ने कहा कि वे चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को संदेश देना चाहते हैं की जल्द ही उनके भ्रष्टाचार को वे उजागर करेंगे। उन्होंने कहा कि अब जेल जाने की बारी मंत्री विश्वास सारंग की है। परमार ने दावा किया कि नर्सिंग घोटाला व्यापम महाघोटाले से भी बड़ा घोटाला है और इसमें सीधे तौर पर मंत्री सारंग की संलिप्तता है।

 

बीते साल पता चला कि प्रदेश के 600 नर्सिंग कॉलेजों में करीब 500 नर्सिंग फैकल्टी को फर्ज़ी पाया गया। यह फैकल्टी इसलिए रखी गईं थीं ताकि इन नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता मिल सके। प्रदेश में कोविड के दौर में नर्सिंग कॉलेज जमकर खुले। हाईकोर्ट ने इस पर चेताया भी और कहा कि यह व्यापम से भी बड़ा घोटाला हो सकता है लेकिन इसके बावजूद मप्र सरकार इसे लेकर कोई खास गंभीर नहीं हुई। अब इस घोटाले की जांच की मांग करना भी प्रदेश में एक तरह का अपराध दिखाई दे रहा है। बीते दिनों भोपाल में  इस मामले की जांच की मांग करने के लिए बैठे एनएसयूआई के नेता रवि परमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वे चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री विश्वास सारंग के बंगले के बाहर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। रवि की गिरफ्तारी कुछ अंदाज़ में हुई जैसे वे कोई अपराधी हों।

इसके बाद से ही कांग्रेस नेता और NSUI के कार्यकर्ता रवि परमार की रिहाई के लिए मांग कर रहे हैं। रवि, NSUI की मेडिकल विंग के प्रमुख हैं और लगातार इस मामले पर सवाल उठाते रहे हैं। अब जब उन्हें विरोध करने पर गिरफ्तार कर लिया गया है तो कांग्रेसी नेता और उनके संगठन एनएसयूआई के साथी इस मामले में सरकार पर हमलावर हैं। ए  इसे लेकर कैंडल मार्च निकाल रही है और मध्यप्रदेश की कानून व्यवस्था को श्रद्धांजलि दे रही है।

इस मामले में मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने भी सरकार की तीखी आलोचना की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि  “मप्र में नर्सिंग घोटाले को लेकर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे एनएसयूआई नेता रवि परमार के साथ अपराधी जैसा बर्ताव कर हथकड़ी लगाकर जेल भेजना मप्र सरकार की अन्यायपूर्ण कार्रवाई है व लोकतंत्र पर प्रहार है। मैं रवि की तुरंत रिहाई की मांग करता हूँ।”

प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग में हुए इस नर्सिंग घोटाले की जांच भी नहीं हुई है। ऐसे में नर्सिंग घोटाले की जांच और परिक्षाओं के आयोजन की मांग को लेकर एनएसयूआई मेडिकल विंग के संयोजक रवि परमार के नेतृत्व में नर्सिंग स्टूडेंट्स चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के बंगले के बाहर बुधवार को सत्याग्रह पर बैठे थे।

एनस के प्रमुख डॉ. विक्रांत भूरिया ने भी इस गिरफ्तारी के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार की आलोचना की है। उन्होंने लिखा कि “मप्र की भाजपा सरकार की तानाशाही नर्सिंग घोटाले के ख़िलाफ़ आवाज उठाने वाले NSUI छात्र नेता रवि परमार को जेल भेज दिया गया। धिक्कार है ऐसी नकारा सरकार पर जिसके राज में शिक्षामाफ़िया मौज कर रहा है और उनके ख़िलाफ़ आवाज उठाने वाले जेल जा रहे है।”

 NSUI का आरोप है कि शांतिपूर्ण सत्याग्रह पर बैठे मेडिकल स्टूडेंट्स को पुलिस ने बर्बरतापूर्वक पीटा। इसके बाद पुलिस घसीटते हुए छात्र नेता रवि परमार को टीटी नगर थाने ले गई जहां से उन्हें सेंट्रल जेल भेज दिया गया। एनएसयूआई कार्यकर्ताओं  ने आरोप लगाया है कि मंत्री सारंग के इशारों पर पुलिस अधिकारियों ने रवि परमार को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।

परमार की गिरफ्तारी के पीछे दलील दी गई कि उन्होंने बिना अनुमति प्रदर्शन किया। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रदेश में क्या सरकार के खिलाफ उठाई जा रही सभी आवाज़ों के साथ इसी तरह से बर्ताव होता है। इस सवाल के जवाब में करणी सेना द्वारा हालही में किए गए आंदोलन को गिनना चाहिए जहां तीन दिनों तक करणी सेना के नेता सरकार के विरोध में बिना अनुमति के भोपाल शहर के मुख्यमार्गों पर बैठे थे और बाद में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने उन्हें मिठाई खिलाकर मनाया था।



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