भोपाल। छतरपुर से एक नौजवान संत इन दिनों देश भर में छाए हुए हैं। बिना बताए मन की बात जान लेने वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उर्फ़ बागेश्वर सरकार नाम के इन संत को लेकर पिछले कुछ महीनों से माहौल बना हुआ है और अब यह माहौल परवान चढ़ चुका है। बाबा अपनी लोकप्रियता के चरम पर हैं।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपनी कथा के मंच से लोगों के मन की बात कैसे जानते हैं या नहीं जानते इसका जवाब तो इन विषयों के जानकार अपनी जांच के बाद ही दे सकते हैं लेकिन अपने इस करतब की मार्केटिंग इस युवा संत ने जमकर की है और इसमें उन्होंने अपने साथ पूरे देश की मीडिया को ले लिया है। सबसे ताज़ा मामला एक टीवी रिपोर्टर का है जिन्होंने इन संत के इंटरव्यू के अगले दिन ही कथा के मंच से ही बागेश्वर धाम के जयकारे लगा दिए।
इससे पहले पिछले दिनों धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को नागपुर में अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति से चुनौती मिली। इस समिति ने उन्हें और भी चर्चाओं में ला दिया। समिति का कहना था कि धीरेंद्र कृष्ण ने उनका सामना नहीं किया। वहीं अब रायपुर में हो रही कथा में धीरेंद्र कृष्ण ने नागपुर की इस समिति को चुनौती दे दी।
रायपुर की इस राम कथा में लाखों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। इनमें सकड़ों पत्रकार भी रहे। जो धीरेंद्र कृष्ण के आगे नतमस्तक हो गए। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा एबीपी न्यूज के संवाददाता ज्ञानेंद्र तिवारी की हो रही है।
एबीपी न्यूज़ के संवाददाता ज्ञानेंद्र तिवारी ने एक या दो दिन पहले ही धीरेंद्र कृष्णा शस्त्री का एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू लिया था। जहां युवा संत धीरेंद्र कृष्ण ने उनसे जुड़े विवादों और दूसरी बातों पर खुलकर बात की। इसके बाद अगले दिन बाबा ने अपने मंच से जिसे दरबार कहा जाता है, पत्रकारों के बीच से एक व्यक्ति की कुछ व्यक्तिगत जानकारियां जिनमें रिश्तेदारों के नाम आदि शामिल थे, सार्वजनिक तौर पर बतानी शुरू की, और यह जानकारियां ज्ञानेंद्र तिवारी की थी लिहाज़ा वे फिर मंच पर संत धीरेंद्र कृष्ण के सामने आ गए।
इसके बाद धीरेंद्र कृष्ण ने कुछ और जानकारियां ज्ञानेंद्र के परिवार के बारे में बताईं और कुछ क्षणों में ज्ञानेंद्र तिवारी ने मंच से ही अपनी पत्रकारिता की पहचान के साथ बागेश्वर सरकार के जयकारे लगा दिए।
उनका यह वीडियो लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। इस पर तरह तरह की बातें की जा रहीं हैं। हालांकि ज्यादातर बातें धीरेंद्र कृष्ण के दावों और एक पत्रकार द्वारा उन पर लगी मोहर को लेकर रहीं।
बागेश्वर धाम सरकार की जय जयकार लगाने लगे ABP के पत्रकार ज्ञानेन्द्र तिवारी बागेश्वर धाम ने खुले मंच से कहा आज से अंधविश्वास कहना बंद कर देना नहीं तो नंगा कर देंगे जो मीडिया चैनल बेवजह अंधविश्वासी कह रहे वो वीडियो देखें https://t.co/CPurEvoKhX pic.twitter.com/1LWF1DeSeL
— Abhishek Kumar Kushwaha (@AskAbhishek_IND) January 20, 2023
इस बीच पत्रकार ज्ञानेंद्र तिवारी का कथा के मंच से जयकारे लगाना बहुत से सवाल भी खड़े करता है।
पहला सवाल यह है कि क्या एक पत्रकार अपनी निजी श्रद्धा और अनुभव के कारण राष्ट्रीय टेलीविजन पर किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति एक सकारात्मक राय और स्वीकार्यता पैदा करने की कोशिश कर रहा है जो वैज्ञानिक चेतना को सीधे चुनौती दे रहा है!
पतन की पराकाष्ठा pic.twitter.com/NfrWqV6kpB
— Vinod Kapri (@vinodkapri) January 20, 2023
और क्या यह आने वाले दिनों उक्त संत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की ओर उठने वाले तमाम सवालों को खत्म भी कर रहे हैं! और इसी बहाने देश को वैज्ञानिक सोच से भी दूर धकेलने में मदद नहीं कर रहे?
ऐसे बढ़ती जा रही लोकप्रियता:
26 साल के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री नई पीढ़ी के संत हैं और उन्हें प्रचारित और प्रसारित होने में नई पीढ़ी के सोशल ऐप्स का भी खूब साथ मिला है। इन सबसे राजनीतिक पार्टियां और फिर टीवी चैनल भी बाबा की ओर आकर्षित हुए। जिन्होंने बाबा की लोकप्रियता को एक ही झटके में कई गुना बढ़ा दिया। पिछले एक हफ्ते के दौरान धीरेंद्र कृष्ण की चर्चा तकरीबन हर एक टीवी न्यूज चैनल पर हो रही है उनके एक्सक्लूसिव बताए जाने वाले इंटरव्यू चल रहे हैं।
रायपुर की कथा के दौरान ही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने छत्तीसगढ़ में धर्म परिवर्तन के मुद्दे को पकड़ लिया और उन्होंने कहा कि वे धर्म बदल चुके आदिवासी और दूसरे समाज के लोगों की घर वापसी करवाएंगे।इसके बाद उन्हें खुद को हिंदू हितैषी बताने वाले लोगों का साथ भी मिल रहा है। टीवी पत्रकार उन्हें छत्तीसगढ़ में धर्म परिवर्तन के खिलाफ आवाज उठाने वाला संत बता रहे हैं।
हालांकि इससे पहले भी देश ने हाथ से भभूत, फूल निकालने वाले, मूर्तियों को दूध पिलाने और तरह- तरह के करतब करने वाले बाबा, संत आदि देखे हैं लेकिन कहा जाना चाहिए कि धीरेंद्र कृष्ण की उम्र में इतना हल्ला शायद उन्होंने नहीं किया हालांकि यह भी याद रखना होगा उनका समय ऐसा नहीं था।
साठ और सत्तर के दशक में तब के सबसे बड़े नेता जिन संतों आदि के मुरीद होते थे उनका नाम आजतक लिया जाता है लेकिन कम ही रहे जिन्होंने अपने इस तरह के कर्तबों की इस कदर मार्केटिंग की हो और भारतीय अध्यात्मिक जगत में चमत्कार दिखाने वाले संतों को बहुत उत्कृष्ट भी नहीं माना जाता।