दुनिया में गरीबी और गैरबराबरी के खिलाफ़ काम करने वाली गैर सरकारी संस्था ऑक्सफैम की रिपोर्ट भारत की गंभीर स्थिति दिखा रही है लेकिन इस बेहद महत्वपूर्ण रिपोर्ट की चर्चा हमारी उस मीडिया में ना के बराबर हो रही है जिसे देश के ज्यादातर लोग देखते हैं।
ऑक्सफैम की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारत के शीर्ष 1% लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40.5% से अधिक का स्वामित्व था। यानी भारत में वित्तीय असमानता गंभीर रूप से बढ़ी है। इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में देश में अरबपतियों की संख्या 2020 में 102 से बढ़कर 166 हो गई।
रिपोर्ट कहती है कि भारत में गरीब “जीवित रहने के लिए बुनियादी आवश्यकताएं भी वहन करने में असमर्थ हैं”।
इस बेहद महत्वपूर्ण संस्थान की रिपोर्ट में भारत में जारी इस असमानता को अश्लील कहा गया है।
भारत में बीते 2 वर्षों में अमीरी के नए रिकॉर्ड बने। उद्योगपति गौतम अदानी दुनिया के कुछ सबसे अमीर लोगों में शामिल हुए लेकिन इसी दौरान भारत में गरीबों की स्थिति बिगड़ती रही।
ऑक्सफैम के मुताबिक इस दौरान देश के गरीब और मध्यम वर्ग पर अमीरों की तुलना में अधिक कर लगाया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में कुल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का लगभग 64 फीसदी आबादी के 50 फीसदी निचले हिस्से से आया है, जबकि केवल 4 फीसदी शीर्ष 10 फीसदी से आया है।
ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा, “दुर्भाग्य से भारत केवल अमीरों का देश बनने की राह पर है।”
उन्होंने कहा कि “देश के हाशिए पर – दलित, आदिवासी, मुस्लिम, महिलाएं और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक एक ऐसी प्रणाली में पीड़ित हैं जो सबसे अमीर लोगों के अस्तित्व को सुनिश्चित करता है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में अमीरों को कम कॉर्पोरेट टैक्स, टैक्स छूट और अन्य प्रोत्साहनों का लाभ मिला है।
ऑक्सफैम ने इसे गंभीर असमानता बताया है और इसके लिए कुछ सुझाव दिए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के अरबपतियों की पूरी संपत्ति पर 2% कर लगाकर अगले तीन वर्षों के लिए देश की कुपोषित आबादी के पोषण कर सकता है।
इसमें से 1% धन कर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, भारत की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना को 1.5 से अधिक वर्षों के लिए वित्तपोषित कर सकता है।
ऑक्सफैम ने कहा कि शीर्ष 100 भारतीय अरबपतियों पर 2.5% कर लगाने या शीर्ष 10 भारतीय अरबपतियों पर 5% कर लगाने से अनुमानित 15 करोड़ बच्चों को स्कूल में वापस लाने के लिए आवश्यक पूरी राशि मिल सकती है।
इस रिपोर्ट के कुछ दूसरे अहम तथ्य पढ़ने ज़रूरी हैं।
- भारत के शीर्ष 1 प्रतिशत लोग 2021 तक कुल संपदा के 40.5 प्रतिशत हिस्से के मालिक हो गए जबकि आबादी के निचले 50 प्रतिशत हिस्से यानी 70 करोड़ लोगों के पास मात्र 3 प्रतिशत संपदा है।
- केवल 5 प्रतिशत भारतीयों के पास देश की संपत्ति का 60 प्रतिशत हिस्सा है।
- कोरोना महामारी से लेकर नवंबर 2022 तक भारत के अरबपतियों की संपत्ति में 121 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो कमाई के लिहाज से प्रतिदिन 3608 करोड़ रुपए यानी प्रति मिनट ढाई करोड़ रुपए बनता है। इसी अवधि में भूखे लोगों संख्या भारत में 19 करोड़ से बढ़कर 35 करोड़ हो गई है। 2022 में 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के 65 प्रतिशत बच्चों की मौत इस कारण हुई।
- भारत के सबसे धनी व्यक्ति की संपत्ति वर्ष 2022 में 46 प्रतिशत बढ़ी है।
- भारत के 100 सबसे धनी व्यक्तियों की कुल संपत्ति 54 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई, जिससे 18 महीने का केन्द्रीय बजट बन सकता है।
- सबसे धनी 10 भारतीयों की कुल संपत्ति 27 लाख करोड़ रुपए है। पिछले वर्ष से इसमें 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह संपत्ति स्वास्थ्य व आयुष मंत्रालयों के 30 वर्ष के बजट, शिक्षा मंत्रालय के 26 वर्ष के बजट व मनरेगा के 38 वर्ष के बजट के बराबर है।
- कारपोरेट क्षेत्र को दिए गए 11 लाख करोड़ रुपए के कर्ज सार्वजनिक बैंकों द्वारा रद्द किए गए।
- कारपोरेट टैक्स में 2019 में कमी की गई व छूट तथा प्रोत्साहन के रूप में 2021 में 1,03,285 करोड़ रुपए का लाभ अमीरों को मिला जो 1.4 वर्ष के लिए मनरेगा बजट के बराबर है।