भोपाल। आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग करते हुए भोपाल में करणी सेना का प्रदर्शन जारी है। ज़ाहिर है यह मांग एक तरह से जाति के आधार पर मिलने वाले आरक्षण को खत्म करने के लिए है। ऐसे में आरक्षित वर्ग के संगठनों ने भी करणी सेना की इस मांग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मप्र में भीम आर्मी के चंद्रशेखर भी अब भोपाल में प्रदर्शन करने जा रहे हैं। भीम आर्मी को एर से कहा गया है कि वे अगले महीने संत रविदास जयंती के उपलक्ष्य में एक बड़ी रैली करेंगे। ज़ाहिर है अब मप्र के समाज अब जातिगत आरक्षण के नाम पर दो भाग देखने को मिलेंगे। ऐसी स्थिति में आने वाले चुनावों में इसका असर भी नजर आएगा।
भीम आर्मी की ओर से सुनील अस्तेय ने मीडिया से कहा कि, ’12 फरवरी 2023 को संत रविदास जयंती के उपलक्ष्य में हमलोग आरक्षण के समर्थन में भोपाल को नीला कर देंगे। उन्होंने कहा कि 15 फीसदी सवर्णों पर 85 फीसदी बहुजन भारी थे और रहेंगे और जब जब इस देश का बहुजन समाज एक हुआ है, हमारी जीत हुई है। चाहे वह आजादी की लड़ाई हो चाहे एट्रोसिटी एक्ट की लड़ाई हो। हमने हर लड़ाई को जीता है। 2 अप्रैल के दिन पूरे भारत देश में हमने दिखा दिया की हमारा समाज कितना बड़ा है। 12 फरवरी को एक बार फिर दुनिया बहुजनों की ताकत देखेगी।’
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— Sunil Astay 🇮🇳 (@SunilAstay) January 10, 2023
हमसमवेत वेबसाइट के मुताबिक राजगढ़ जिले से आने वाले भीम आर्मी के एक और लीडर रामेश्वर मालवीय ने कहा कि, ‘आरक्षण कोई गरीबी उन्मलन कार्यक्रम नहीं है। गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार कई योजना चला रही है। मामला सामाजिक अधिकार का है। हजारों सालों से बहुजनों को आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक रूप से बहिष्कृत किया गया। हम समाज में अपना प्रतिनिधित्व मांग रहे हैं। हम भीख नहीं मांग रहे, अपना अधिकार मांग रहे हैं। हजारों साल तक हमें हमारे अधिकारों से वंचित रखा गया लेकिन अब और नहीं।’
मालवीय ने आगे कहा कि, ‘आरक्षण पर सवाल करके करणी सेना के लोग दो समुदायों में तनाव पैदा करने का काम कर रहे हैं। हिंदू ही दूसरे हिंदू के अधिकारों को चोट पहुंचाने का काम कर रहे हैं। यह इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। कोई भी मुस्लिम व्यक्ति आरक्षण अथवा एससी-एसटी एक्ट का विरोध नहीं कर रहा। जातिगत मानसिकता रखने वाले मनुवादी लोग ही दलितों को कमजोर करने का काम कर रहे हैं। 12 फरवरी को भोपाल में जब लाखों भीम आर्मी के लोग जुटेंगे को शहर नीले रंग में रंग जाएगा।’
वहीं करणी सेना की प्रमुख मांगों में आर्थिक आधार पर आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट में बदलाव शामिल हैं। करणी सेना वह करने की बात कर रही है जो अब तक किसी राजनीतिक दल ने कहने की हिम्मत भी नहीं दिखाई है। ऐसे में अब अगर इन आंदोलनों पर सरकार ध्यान नहीं देती है तो नुकसान होना तय है। वहीं भोपाल में करणी सेना के जीवन सिंह शेरपुर ने मंगलवार को लोगों को कसम दिलाई कि अगर अनशन करते हुए उनकी या साथियों की जान चली जाती है तो कोई हिंसा न करे बस कसम खा ले कि वे जीवन भर भाजपा को वोट नहीं देंगे।
जीवनसिंह शेरपुर की अपील जिंदगी भर भाजपा को वोट मत देना
मैं मर जाऊं तो यही जंबूरी मैदान पर मुझे गाड़ देना पर तोडफ़ोड़ मत करना करणी सेना का आंदोलन जारी @ABPNews @abplive @brajeshabpnews @upmita pic.twitter.com/ImGF4i1kZ3— Nitinthakur (Abp NEWS) (@Nitinreporter5) January 10, 2023
लोकनीति के सर्वे के मुताबिक देश में 55 प्रतिशत वोटर प्रत्याशी की जाति देखकर वोट देते हैं और मप्र में यह आंकड़ा करीब 65 प्रतिशत है। ऐसे में समझना मुश्किल नहीं कि प्रदेश की राजनीति में जाति की भूमिका कितनी अहम है और यह भी समझना होगा कि जाति का करणी सेना और भीम आर्मी के बीच होने वाला यह वैचारिक टकराव राजनीति को किस तरह प्रभावित कर सकता है।