मिलेट्स यानी मोटा अनाज। मोटा अनाज जो दुनिया का सबसे पुराना अनाज माना जाता है और जो एक समय भारत के लोगों का मुख्य आहार होता था लेकिन अब मोटा अनाज भारत और दुनिया में भोजन की थालियों से एक तरह से लुप्त हो चुका है लेकिन भारत सरकार ने इसे लेकर एक अच्छी पहल की है जिसे दुनिया ने सराहा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYM) के रूप में घोषित किया है। इसके लिए भारत सरकार ने 2018 में अनुरोध किया था प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य आईवाईएम 2023 को एक ‘जन आंदोलन’ बनाना, और भारत को ‘बाजरा के वैश्विक हब’ के रूप में स्थापित करना है। अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYM) 2023 की शुरुआत केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और भारतीय दूतावासों द्वारा की जा रही गतिविधियों के साथ हो चुकी है।
मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, कद्दु, कुटकी अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण फसलें हैं, जिसकी पैदावार एशिया और अफ्रीका के विकासशील देशों में, खास तौर पर भारत, माली, नाइजीरिया और नाइजर में होती है। विश्व के कुल मोटे अनाज का उत्पादन का 97% विकासशील देशों में होता है। यह अनाज लगभग 7,000 वर्षों से मनुष्यों द्वारा खाया जा सकता है और संभावित रूप से बहु-फसल कृषि और व्यवस्थित कृषक समाजों के उदय में एक महत्वपूर्ण भूमिका थी।
बाजरा भारत में उगाई जाने वाली पहली फसलों में से एक थी, जिसके प्रमाण सिंधु घाटी सभ्यता में भी मिलते हैं। वर्तमान में 130 से अधिक देशों में उगाए जाने वाले बाजरा को पूरे एशिया और अफ्रीका में आधे अरब से अधिक लोगों के लिए पारंपरिक भोजन माना जाता है।
भारत में, बाजरा मुख्य रूप से एक खरीफ फसल है, जिसमें अन्य समान किस्म के खाद्यान्नों की तुलना में कम पानी और कृषि संबंधी इनपुट की ज़रूरत पड़ती है। बाजरा आजीविका पैदा करने, किसानों की आय बढ़ाने और पूरी दुनिया में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी विशाल क्षमता के कारण एक अहम फसल है।
भारत सरकार ने अग्रणी भूमिका निभाते हुए इसकी कार्ययोजना तैयार की है। अप्रैल 2018 में, बाजरा को “न्यूट्री अनाज” के नाम से एक ब्रांड के तौर पर किया गया। इसके साथ ही, सरकार ने अधिक उत्पादन और मांग पैदा करने के उद्देश्य से 2018 बाजरा के लिए राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया।
6 दिसंबर, 2022 को खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने रोम में अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYM) 2023 का उद्घाटन समारोह मनाया, जिसे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संबोधित किया। इस आयोजन में भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी भाग लिया। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने पिछले महीने संसद सदस्यों के लिए एक विशेष ‘बाजरा लंच’ आयोजित किया था, जिसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधान मंत्री ने भाग लिया था।
अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईवाईएम) 2023 के उपलक्ष में कई कार्यक्रम एवं आयोजनों की योजना है, जिसमें एक आकर्षक योजना है बाजरा को इसी साल दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन का एक अभिन्न हिस्सा बनाना। सम्मेलन के प्रतिनिधियों को बाजरा का स्वाद लेने, किसानों से मिलने और स्टार्ट-अप तथा एफपीओ के साथ इंटरैक्टिव सत्रों के ज़रिये बाजरे का सच्चा अनुभव प्रदान किया जाएगा।
खेल और युवा मामलों के मंत्रालय ने जनवरी में 15 गतिविधियों की योजना बनाई है। वीडियो संदेशों के माध्यम से खिलाड़ियों, पोषण विशेषज्ञों और फिटनेस विशेषज्ञों को शामिल करना, प्रमुख पोषण विशेषज्ञों, आहार विशेषज्ञों और विशिष्ट एथलीटों के साथ बाजरा पर वेबिनार आयोजित करना। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय आंध्र प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में बाजरा मेला-सह-प्रदर्शनियों का आयोजन करेगा। इसके साथ ही, एफएसएसएआई पंजाब, केरल और तमिलनाडु में ईट राइट मेलों का आयोजन करेगा। इसके अलावा, छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और पंजाब को महोत्सव/मेलों और खाद्य उत्सवों, किसानों के प्रशिक्षण, जागरूकता अभियानों, कार्यशालाओं/संगोष्ठियों, प्लेसमेंट सहित बाजरा-केंद्रित गतिविधियों के संचालन के अलावा IYM के प्रति समझ एवं जागरूकता बनाने और प्रचार के लिए होर्डिंग्स और प्रचार सामग्री वितरण जैसी कुछ खास गतिविधियां निर्धारित की गई हैं।
भारतीय बाजरा की विविधता का प्रदर्शन करने के लिए, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) बेल्जियम में एक व्यापार शो में भाग लेगा। 2023 के दौरान 140 से अधिक देशों में भारतीय दूतावास IYM के उत्सव में भाग लेंगे औश्र इस दौरान प्रदर्शनी, सेमिनार, वार्ता और पैनल चर्चा का आयोजन करते हुए भारतीय प्रवासियों को शामिल करेंगे।
अब सवाल है कि क्या भारतीय बाजरा के लिए एक निर्यात बाजार भी है? तो इसका जवाब सकारात्मक हो सकता है। एपीडा ने 2021-22 के 64.28 मिलियन डॉलर के मुकाबले 2023-24 तक 100 मिलियन डॉलर के बाजरा निर्यात का लक्ष्य रखा है।
बाजरे की खपत और उत्पादन को बढ़ाना भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत में खपत बढ़ने से लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। बाजरे में कई पोषक तत्व और खनिज होते हैं जो मानव शरीर के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। बाजरा आहार फाइबर से भरपूर होता है और यह रक्तचाप और शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। हालांकि, कोविड के बाद बाजरा के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता में सुधार हुआ है, फिर भी अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। बाजरा का उत्पादन इसकी खपत को बढ़ावा देने और भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत में बाजरे के उत्पादन और उपयोग को बढ़ाने में सरकारी नीतियों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। भले ही 2013-14 और 2021-22 के बीच बाजरा (रागी, बाजरा और ज्वार) का एमएसपी 80-125 प्रतिशत बढ़ाया गया हो, लेकिन पिछले आठ वर्षों के दौरान उनका संयुक्त उत्पादन 7 प्रतिशत घटकर 15.6 मिलियन टन रह गया है। जबकि बाजरा का उत्पादन स्थिर रहा है, ज्वार और रागी दोनों के उत्पादन में गिरावट आई है। यह नीति-स्तर के हस्तक्षेप की आवश्यकता की ओर इशारा करता है ताकि किसानों को बाजरा के लिए लाभकारी मूल्य मिलें और उनका रिटर्न धान जैसी फसलों की तुलना में अधिक हो।