धार। जिले के किसान अब फसलों में इल्लियों की समस्या से जूझ रहे हैं। गेहूं की फसल में इल्लियां काफी अधिक हैं जो फसल को चट कर रही हैं। किसानों के मुताबिक पहली बार गेहूं की फसल में इल्लियों का प्रकोप आया है। इन इल्लियों से छुटकारा पाने के लिए किसान तरह तरह के पेस्टिसाइड का उपयोग कर रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक गेहूं की फसल में इल्लियां लगना मौसम में हो रहे बदलावों के कारण है। किसानों की शिकायत कृषि विभाग से भी है क्योंकि इस परेशानी के बीच उन्हें कृषि विभाग के अफसरों का साथ नहीं मिला है।
धार जिले के किसान इन दिनों गेहूं की फसल में लग रहीं इल्लियों से परेशान हैं। अब तक इल्लियां रबी की फसल चने की फसल में लगती थी। ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ रही है क्योंकि अब गेहूं की फसल में भी दवा का छिड़काव करना होगा। ऐसे में फसल उत्पादन की लागत बढ़ रही है। किसान बताते हैं कि गेहूं की फसल में इल्ली कभी नहीं लगी हैऔर न ही इस फसल में दवाओं का छिड़काव करना पड़ता था लेकिन अब मौसम में बदलाव के कारण यह स्थिति निर्मित हो रही है।
कृषि वैज्ञानिक जीएस गठिया ने बताया कि गेहूं पर पहली बार इल्ली का प्रकोप देखने को मिल रहा है पिछली बार इसका प्रकोप कम था आम तौर पर चना, मटर में ही इस तरह के कीट लगते थे। उन्होंने बताया कि अधिक मात्रा में यूरिया छिड़काव करने से भी गेहूं में इल्लियों का प्रकोप देखने को मिल रहा है क्योंकि यूरिया में मिठास होती है इस कारण से इल्लियां ज्यादा देख रही हैं व चने की फसलों का रकबा कम हो गया है इसके कारण इल्लियां अब तो गेहूं की फसलों पर हमला कर रही हैं।
किसानों इसका करें छिड़काव: विशेषज्ञों के मुताबिक इस कीट के प्रकोप से बचने के कुछ दवाओं का छिड़काव करना ज़रूरी है। इन दवाओं के बारे में जानकारी कृषि अधिकारियों से लेनी होगी। एक दवा इमामेक्टिन वेजोएन्ट है जो 100 ग्राम दवा प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़कनी होगी। इसके अलावा फ्लूवेंडामाइड 50 ग्राम प्रति एकड़ में छिड़क सकते हैं। रेनेक्सीपायर (कोरामेन) 40 ग्राम प्रति एकड़ में छिड़कव सकते हैं। गेंहू की अवस्था के हिसाब से जिंक व नाइट्रोज और फास्फोस पोटाश ,जो फ्लोलियर स्प्रे वाला उपयोग करना भी ठीक होगा। हालांकि इन सभी दवाओं के इस्तेमाल से पहले कृषि विशेषज्ञों से राय ज़रूर लें।
तेजस में ज्यादा इल्लियां: किसानों के मुताबिक गेहूं की तेजस वैरायटी में इल्लियों का प्रकोप काफी अधिक है। जानकार कहते हैं कि इस वैराइटी का पत्ता मीठा होने के कारण इसमें इल्लियों का प्रकोप ज्यादा देखने को मिल रहा है। ऐसे में किसानों को दो से तीन बार गेंहू की फसलो में स्प्रे करना पड़ रहा है।
मौसम के बदलाव से बीमारीया बढ़ी है: इस बारे में जानकार कह रहे हैं कि जैसे जैसे ठंड बढ़ेगी वैसे ही इल्लियों का प्रकोप कम होगा। वहीं मौसम बदलाव भी इल्लियों के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है। ऐसे में अन्य फसलों पर भी इल्ली बढ़ रही है। यह कीट बादल वाले मौसम में अधिक बढ़ता है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर समय रहते ध्यान नही दिया तो बालियां हो जाएंगी तो और भी ज्यादा नुकसान हो सकता है। ऐसे में किसान दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं वहीं दूसरी चिंता क्षेत्र में पानी की है क्योंकि जलस्तर लगातार गिर रहा है।
पहले ही ठंड कम गिरने से इस बार फसल कमजोर है और इल्लियों का प्रकोप गेंहू में देखने को मिल रहा है इसे किसानों पर अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ रहा है। इल्लियों के प्रकोप से ऊपर कुछ दिखाई नहीं देता नीचे नीचे इल्लियां फसलों को चट कर रही हैं।
रणजीत पटेल, किसान
पहले सुना ही था कि गेहूं में कीट और इल्ली लगती हैं। मगर अब देख भी लिया। वहीं इन इल्लियो गेहूं की फसलों में पत्तियों पर ज्यादा नुकसान किया है भारी मात्रा में गेहूं की फसल में बड़ी-बड़ी इल्ली लग रही हैं। जो मेरे ही खेत में है जो कि गेहूं की फसल को उपर से काट रही है। जिससे किसानों बहुत नुकसान हो रहा है।
रतनलाल यादव, किसान अनारद
कुछेक क्षेत्रों में इल्लियों का प्रकोप देखने को मिल रहा है अगर गेंहू की फसल में कीटों को मारने के लिए इमामेक्टीन वेंजूएट कीटनाशक दवा का छिड़काव करें तो बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
ज्ञानसिंह मोहनिया, उपसंचालक, कृषि विभाग धार