Year Ender 2022: साल की बेहतरीन फ़िल्में जो आपसे छूट गईं और अच्छी सिनेमा को बचाए रखने के लिए जिन्हें देखना चाहिए…


जो फिल्में छूट गईं हैं उन्हें देख डालिए… अच्छा सिनेमा छोड़ना अच्छी बात नहीं…


शुभम उपाध्याय शुभम उपाध्याय
OTT दर्शन Updated On :

साल खत्म होने को है और फिर भी कई काम बाकी हैं… काम जो अब तक पूरे हो जाने चाहिए थे। अच्छी सिनेमा को समझने वालों के लिए यह भी एक बड़ा बोझ होता है जो वे अक्सर अपने दिल पर लेकर अगले साल में कदम रखते हैं  क्योंकि शायद जो छूट गया है उसे लगभग बीत रहे साल के ढ़ेर से निकालना कुछ मुश्किल होता है। ऐसे में सिनेमा को चाहने वालों के लिए हम बीत रहे साल के ढ़ेर में से कुछ अच्छी फिल्में लेकर आए हैं। आप चाहें तो इसे साल बीतने से पहले देख डालें और चाहें तो इस लिस्ट को अगले साल के लिए संजो लें क्योंकि अच्छा सिनेमा न देखना अच्छी बात नहीं है।

हर साल ऐसी कई छोटी-छोटी मगर बढ़िया फिल्में रिलीज होती है, जो बड़ी फिल्मों के शोर तले दब जाती हैं। इन्हें हम अक्सर UNDERRATED फिल्में कहते हैं। साल 2022 में भी ऐसी कई UNDERRATED हिंदी फिल्में रिलीज हुईं जो CINEPHILES तक तो पहुंचीं लेकिन आम दर्शकों तक उनकी पहुंच कम रही।  बॉलीवुड की ऐसी ही टॉप की 10 UNDERRATED फिल्मों के बारे में यहां जानिये जो शोर-शराबे से दूर एक बेहतरीन सिनेमाई अनुभव दे गईं।  

जलसा (अमेज़न प्राइम)

पहली है सुरेश त्रिवेणी की जलसा। एक हिट एंड रन केस के बाद दो महिलाओं की जिंदगी आपस में उलझती है और फिल्म डगमगाते morals से लेकर inner-conflicts और पछतावे तक को मारक अंदाज में एक्सप्लोर करती है।

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विद्या बालन ने हमेशा की तरह बहुत बढ़िया अभिनय किया है, लेकिन सबसे ज्यादा चकित शेफाली शाह करती हैं, जिनकी simmering Intensity फिल्म की कुछ कमियों के बावजूद हमें कहानी से आखिर तक बांधे रखती है।

लव हॉस्टल (ज़ी फाइव)

दूसरी फिल्म है शंकर रमन की एकदम कमाल फिल्म लव हॉस्टल। ये एक बेहद ब्रूटल फिल्म है और बेहद पॉलिटिकल भी, जो हमारे समाज में मौजूद हिंसा को सिनेमा के परदे पर खूंखार हिंसा रचकर ही दिखाती है।

जॉनर के हिसाब से ये एक रोमेंटिक क्राइम थ्रिलर है लेकिन असल में उससे बहुत आगे की फिल्म है, जिसे बदकिस्मती से वो तारीफें नहीं मिल सकीं जिनकी वो हकदार है। नहीं देखी है तो इस फिल्म को जरूर-जरूर देखिए।

जादूगर (नेटफ्लिक्स)

इस कड़ी में तीसरी फिल्म है समीर सक्सेना की जादूगर, जिसे इसकी लंबाई की वजह से रिलीज के वक्त ज्यादा प्रॉमिसिंग रिव्यूज नहीं मिल पाए और इस वजह से ये जल्द ही भुला दी गई। लेकिन पौने तीन घंटे की होने के बावजूद है ये एक प्यारी फील गुड फिल्म जो ज्यादातर वक्त हमारे चेहरे पर मुस्कान लाने में कामयाब रहती है।

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फुटबॉल, जादू और प्यार का आपस में फेंटा लगाकर अच्छी रोचक पटकथा तैयार करती है और जीतेंद्र कुमार का नैचुरल अभिनय फिर हमारा दिल जीत लेता है।

खुदा हाफिज़ 2(ज़ी फाइव)

चौथी फिल्म है खुदा हाफिज 2। जिसे देखकर मेरी तरह बहुत से दूसरे दर्शक चौंक गए क्योंकि मेरी नजर में पहली वाली खुदा हाफिज एक बेहद MEDIOCRE फिल्म थी। लेकिन इस रिवेंज थ्रिलर में विद्युत जामवाल ने कहानी की मांग अनुसार अच्छा अभिनय किया है, और कुछ एक्शन-सीक्वेंसिस तो वाकई शानदार हैं।

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बस कि ये फिल्म उन्हीं दर्शकों के लिए है जिन्हें कोरियन फिल्मों जैसा ब्रूटल वॉयलेंस देखने की आदत है, क्योंकि इसमें भर-भर के हिंसा है, और शायद इसी वजह से ज्यादातर दर्शक इससे दूर रहे हैं।

कौन प्रवीण तांबे (Hotstar)

पांचवी है जयप्रद देसाई की कौन प्रवीण तांबे। किसने सोचा था कि स्पोर्ट्स बायोपिक जैसे अब महा-बोरिंग हो चुके जॉनर की कोई बहुत छोटी-सी फिल्म सीधे दिल में घर कर जाएगी। कहने को तो इसकी फिल्ममेकिंग बेहद सिंपल है, और पटकथा भी वक्त-बेवक्त ढीली पड़ती रहती है, लेकिन प्रवीण तांबे के अनंत संघर्षों की सच्ची कहानी ने और श्रेयस तलपडे के sincere और truthful अभिनय ने इस बायोपिक को बेहद असरदार बना दिया है।

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बिना कोई शक, साल 2022 की सबसे ज्यादा अंडररेटिड फिल्मों में से एक है ये ईमानदार फिल्म।

RK/RKAY

मेरी इस लिस्ट में छंटवी फिल्म है crowd-funding से बनी रजत कपूर की RK/RKAY। इस फिल्म को देखने बहुत कम दर्शक थियेटर गए लेकिन क्या मजेदार meta cinema है ये। सोचिए क्या हो अगर किसी फिल्म का मैन किरदार ही शूट हुई फिल्म से गायब हो जाए और रियल में उसकी लाइफ का हिस्सा बन जाए जिसने उसे क्रिएट किया।

इस bonkers idea को रजत कपूर मजेदार अंदाज में एक्सप्लोर करते हैं, absurd और innovative सीन्स क्रिएट करते हैं और ह्यूमर का भी मारक इस्तेमाल करते हैं. इस दर्जे की experimental फिल्में हिंदी सिनेमा में बहुत कम बनती हैं।

थार (NETFLIX)

सातवीं फिल्म है राज सिंह चौधरी की थार। अगर आप हॉलीवुड की वेस्टर्न फिल्में देखते रहे हैं और वेस्टर्न जॉनर की समझ रखते हैं, तो थार को जरूर पसंद करेंगे।

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धीमी रफ्तार की इस रिवेंज थ्रिलर में शानदार सिनेमेटोग्राफी है, haunting frames है, काफी हिंसा है, काफी डस्टर्बिंग सीन हैं, स्टोरी थोड़ी कमजोर है, और अनिल कपूर की शानदार इंटेंस एक्टिंग है। वेस्टर्न जॉनर के मुरीदों को इस देसी वेस्टर्न को एक मौका देना ही देना चाहिए।

लूप लपेटा  (Netflix)

आठवीं फिल्म है आकाश भाटिया की लूप लपेटा है। ये कल्ट क्लासिक जर्मन फिल्म रन लोला रन की रीमेक, लेकिन सीन बाय सीन नकल नहीं है, बल्कि अकल लगाकर किया गया फन और क्रिएटिव adaptation है।

रन लोला रन जैसी frantic रफ्तार यहां नहीं है, लेकिन एक ही घटना के तीन outcome वाली कहानी यहां भी है और उसे कहा काफी अतरंगी और अलग तरीके से गया है, जिसमें मजा काफी आता है। हालांकि कई लोगों को ये फिल्म पसंद नहीं भी आई, लेकिन आप खुद इसे देखिए।

नज़र अंदाज़ (Netflix)

नौंवी फिल्म है विक्रांत देशमुख की नजर अंदाज। एक छोटी-सी मगर प्यारी, खूबसूरत और इमोशनल करने वाली फिल्म जो कुमुद मिश्रा की अदाकारी से खिल उठती है। शुरू-शुरू में ये फिल्म एक हल्की-फुल्की कॉमेडी लगती है, जो गुदगुदाती है, जिंदगी के संघर्षों के बावजूद खुश रहने का फलसफा बयां करती है। लेकिन जब ये अपने अंधे नायक के साथ गुजरात जाती है, तो निहायत ही इमोशनल और सीधे दिल में उतरने वाली फिल्म बन जाती है।

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भारी-भरकम फिल्मों के दौर में कई बार बहुत सिंपल सी लगती फिल्में ताजी हवा के झोंके की तरह चेहरे को सहला जाती हैं। नजर अंदाज ऐसी ही फिल्म है।

चुप (Zee5)

मेरी इस लिस्ट में दसवीं और आखिरी फिल्म है आर बाल्की की चुप, जिसका प्रिमाइस इस साल की फिल्मों में सबसे यूनीक रहा।

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एक सीरियल किलर जो गलत रिव्यू देने वाले क्रिटिक्स का मर्डर करता है और एक पुलिस वाला जो उसे खोजता है। न सिर्फ ये फिल्म फिल्म रेफरेंसिस से भरी पड़ी है, बल्कि बड़ी ही खूबसूरती से गुरुदत्त को ट्रिब्यूट देती है, एक प्यारी प्रेम कहानी रचती है, और फिल्ममेकर्स और क्रिटिक्स के बीच के फ्रिक्शन पर balanced रहकर बात करती है। हालांकि इसका सेकेंड हाफ का स्क्रीनप्ले काफी साधारण है, अपने interesting premise के साथ इंसाफ नहीं कर पाता है, और शायद इसीलिए ये ढाई स्टार से ज्यादा लायक की फिल्म नहीं बन पाती है।

 

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