जबलपुर। मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग (MPPSC) द्वारा आयोजित राज्य सेवा एवं राज्य वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2019 और 2021 के रिजल्ट में अपनाई गई आरक्षण नीति को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जबलपुर बेंच में चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता की ओर से याचिका पेश करते हुए दावा किया गया है कि मप्र लोकसेवा आयोग द्वारा राज्य सेवा एवं राज्य वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2019 एवं 2021 के रिजल्ट में परीक्षा नियम 2015 का उल्लंघन किया गया है।
एमपीपीएससी 2021 प्री रिज़ल्ट में महिलाओं के लिए अलग से सूची घोषित नहीं की गई। यह भी आरोप लगाया गया है कि एमपीपीएससी द्वारा रिजल्ट में कम्युनल आरक्षण लागू किया गया है। संभावना जताई जा रही है कि इस मामले में अगले हफ़्ते हो सुनवाई हो सकती है।
फिलहाल हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है और हाईकोर्ट की ओर से किसी भी प्रकार का आदेश-निर्देश जारी नहीं किया गया है। बता दें कि इससे पहले ही मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग यानी एमपीपीएससी द्वारा हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल कर कहा गया है कि यदि उनके द्वारा घोषित परीक्षा परिणामों को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाती है तो उनका पक्ष भी सुना जाए और उससे पहले किसी भी प्रकार का स्थगन आदेश जारी न किया जाए। इस कारण आयोग का पक्ष सुने बिना हाईकोर्ट की ओर से प्रक्रिया को रोकने की कार्रवाई नहीं की जाएगी।
हालांकि मीडिया ट्रायल के दौरान मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा यह भी बताया गया कि उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा में महिलाओं की सूची अलग से जारी क्यों नहीं की थी। अब हाईकोर्ट में तय होगा कि एमपीपीएससी की दलील उचित थी या अनुचित।