धार। एक और अपनी योजनाओं में सरकार बड़े-बड़े वादे कर युवाओं को रोजगार देने की बात करती है लेकिन धार ज़िला के आदिवासी इलाकों में आज भी कई युवा बेरोजगार होकर मजदूरी कर रहे हैं।
जमीनी स्तर पर आज भी कई युवाओं बेरोजगारी के कारण मजदूरी कर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। ऐसे कई युवा हैं जो बीएससी-बीकॉम-बीए की पढ़ाई पूरी कर रोजगार नहीं मिल के कारण मजदूरी करने को मजबूर हैं।
युवा आज खेतों में सोयाबीन कटाई व अन्य मजदूरी कर रहे हैं जिसकी मदद से वे अपना व अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं, वहीं सरकार की योजना अंतिम पंक्ति के गरीब युवाओं तक नही पहुंच पा रही है।
अगर कुछ युवा रोजगार पाने के लिए आवेदन भी करते हैं तो उनको योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। सरकारों को इन गरीब युवाओं पर ध्यान देकर इनकी स्थिति सुधारनी होगी तब ही यह युवा अपनी स्थिति को सुधार पाएंगे व सरकारी योजनाओ का लाभ इनको मिल पाएगा।
वहीं जब चुनाव आते हैं तब इन युवाओं की सुध नेता भी लेते हैं और उसके बाद जब तक इनकी ओर कोई झांक कर भी नहीं देखते हैं।
गांवों में आकर कर रहे कटाई –
जिलेभर में अभी फसलों की कटाई का काम चल रहा है। ये युवा धार, बदनावर, सरदारपुर व अन्य तहसील में फसलों की कटाई का काम कर रहे हैं।
प्रतिदिन हजारों की संख्या में झाबुआ, अलीराजपुर सहित धार जिले के टांडा, बाग आदि आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों से आसपास के क्षेत्रों में किसानों के खेतों में खड़ी सोयाबीन फसल की कटाई के लिए मजदूर आ रहे हैं।
300 से 500 रुपये की मिल पाती है मजदूरी –
फसलों की कटाई के लिए बड़ी संख्या में मजदूरों के साथ शिक्षित युवक, युवतियां भी हैं जिसमें कई एमए, बीए, एमएससी पास हैं तो कई इन विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं।
मजदूरी करने आए शिक्षित युवक व युवतियां बेरोजगार हैं और अपने परिवार की मदद और जरूरत के खर्च के लिए मजदूरी का कार्य कर रहे हैं जिन्हें कड़ी धूप में दिन भर किसानों के खेतों में सोयाबीन कटाई के काम के बदले 300 से 500 रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिल रही है।
क्या कहते युवा
पढ़ाई के बाद नहीं मिली नौकरी-
रिंगनोद में मजदूरी करने आए जालम सिंह निवासी चुम्पिया टांडा ने बताया कि बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद कई बार नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन आज तक नौकरी नहीं मिली है। अभी हम बेरोजगार हैं और जरूरत के खर्च और परिवार की मदद के लिए सोयाबीन कटाई का कार्य कर रहे हैं।
पढ़ाई के साथ मजदूरी कर परिवार की मदद –
एमए की पढ़ाई कर रही रेलम जमरा निवासी टांडा ने बताया कि परिवार की मदद और अन्य जरूरत के खर्च के लिए रुपयों की आवश्यकता भी रहती है इसलिए पढ़ाई के साथ अभी मजदूरी का कार्य भी हम कर रहे हैं जिसमें प्रतिदिन हमें 300 से 500 रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिल रही है, रोजाना किसानों के खेतों में सोयाबीन की फसल की कटाई कर रहे हैं।