35 बेड वाले प्रसूता वार्ड का 84 लाख 50 हजार रुपये की लागत से हुआ है निर्माण।
धार। जिला अस्पताल परिसर स्थित ट्रॉमा सेंटर में पहली मंजिल पर प्रसूताओं के लिए बनाए गए 35 वार्डों का उद्घाटन करने पहुंचे कलेक्टर डॉ. पंकज जैन छत से टपकता पानी देखकर नाराज हो गए।
उन्होंने संबंधित को फटकार लगाते हुए कहा कि शुभारंभ से पहले ही आपकी छत टपक रही है तो यह आगे क्या चलेगी। इसके बाद प्रसूता वार्ड में एक्जॉस्ट फैन नहीं लगा देखकर उन्होंने सीएमएचओ को तत्काल एक्जॉस्ट फैन लगाने के निर्देश दिए।
धार जिला अस्पताल का 300 बेड का सबसे बड़ा अस्पताल अब छोटा पड़ने लगा है। मरीजों के लगातार बढ़ते लोड के कारण बेड तक की उपलब्धता नहीं रहती है। बेड नहीं मिलने की स्थिति में सबसे ज्यादा परेशानी प्रसूताओं को झेलना पड़ती है।
इसकी वजह यह है कि मैटरनिटी वार्ड में कुल बेड की संख्या 65 ही है जबकि रोजाना जिला अस्पताल में 20 से 25 महिलाएं भर्ती होती हैं। हर माह जिला अस्पताल के मैटरनिटी वार्ड में 750 महिलाओं के प्रसव होते हैं। ऐसे में बेड की कमी के कारण कई तरह की परेशानियां प्रसूताओं को झेलना पड़ती हैं।
ट्रॉमा सेंटर की पहली मंजिल पर बनाया गया है प्रसूता वार्ड –
इस तरह की समस्याओं को कुछ हद तक कम करने के लिए जिला अस्पताल परिसर स्थित ट्रॉमा सेंटर में पहली मंजिल पर नए वार्ड बनाए गए हैं। मॉयलान कंपनी द्वारा सीएसआर फंड से इन नए वार्ड का निर्माण किया गया है।
84 लाख 50 हजार की लागत से इनका निर्माण हुआ है। यह वार्ड लगभग पूरा हो गया है। गुरुवार को कलेक्टर डॉ. पंकज जैन, सीएमएचओ शिरीष रघुवंशी सहित अस्पताल के अधिकारियों द्वारा इसका शुभारंभ किया गया।
35 बेड बढ़ने से मिलेगी सुविधा –
इस नए वार्ड में तीन रूम बनाए गए हैं जिसमें 35 बेड तक लगाए जा सकेंगे। इसमें प्रसव के बाद महिलाओं को रखने के लिए सहुलियत मिलेगी।
बताया जा रहा है कि दो सप्ताह में नए वार्ड का काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद हैंडओवर की प्रक्रिया शुरू होगी। अस्पताल प्रबंधन इसे पीएनसी वार्ड के रूप में अपडेट करने की प्लानिंग कर रहा है।
प्रसव का आंकड़ा सबसे बड़ा –
जिला अस्पताल में प्रसव का आंकड़ा सबसे बड़ा है। जितने प्रसव अकेले जिला अस्पताल में होते हैं, उतने पूरे जिले के अस्पतालों में नहीं होते। अस्पताल में हर माह औसतन 750 से 800 प्रसव होते हैं। इसमें नॉर्मल डिलेवरी की संख्या सबसे ज्यादा रहती है।