इंदौर। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेसी नेताओं को बल मिला है और अब इसी के साथ उन्होंने अपनी चुनावी तैयारियां शुरु कर दी है। इंदौर जिले में कांग्रेस नेता तैयारियों में आगे हैं। यहां इंदौर शहर में पूर्व विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय संगठन का हिस्सा बन चुके सत्यनारायण पटेल सक्रिय हो चुके हैं तो वहीं ग्रामीण में महू से पूर्व विधायक रहे अंतरसिंह दरबार सक्रिय है। दरबार भीड़ जोड़ने वाले नेता हैं और यह काम मंगलवार को उन्होंने फिर कर दिखाया। उनके चुनरी यात्रा के कार्यक्रम में करीब 7-8 हजार से अधिक नागरिक मौजूद रहे।
दरबार और उनके सहयोगी इस कार्यक्रम को पूरी तरह धार्मिक और सामाजिक बता रहे हैं हालांकि वे सभी जानते हैं कि धर्म समाज का हिस्सा तो है ही अब राजनीति का भी अटूट हिस्सा बन चुका है। ऐसे में कार्यक्रम उतना ही राजनीतिक रहा। जिसमें जिले के कई कांग्रेसी नेता पहुंचे थे। इन नेताओं में देपालपुर से विधायक विशाल पटेल भी शामिल रहे। यह यात्रा शहर भर में भ्रमण करती हुई चली और इस बहाने लोगों को बताया गया कि लगातार तीन चुनाव हारने के बाद भी अंतर सिंह दरबार चुनावी राजनीति में सक्रिय हैं और दम जीतने का दम रखते हैं।
पिछले कुछ दिनों में अंतर सिंह दरबार ने कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया है या फिर उनमें भाग लिया है। ऐसे में समझना मुश्किल नहीं कि चुनाव के ठीक एकसाल पहले अचानक वे क्यों धार्मिक रुप से सक्रिय हो उठे हैं। इसके कुछ दिनों पहले उन्होंने महू शहर में भारत जोड़ो यात्रा भी निकाली थी इसमें भी काफी संख्या में भीड़ जुटी थी। ज़ाहिर है ऐसे आयोजन उनके माहौल में हवा बनाते हैं। हालांकि केवल भीड़ लाना ही जीत का पैमाना हो यह तय नहीं है।
अंतर सिंह दरबार को इस बार कांग्रेस से टिकिट मिलना बेहद मुश्किल नज़र आ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चुनावों से पहले एक एजेंसी से सर्वे कराया है। इस सर्वे में जिन कांग्रेसी नेताओं को कमज़ोर पाया गया है उन्हें साफ हिदायत दी गई है कि वे अपने-अपने इलाकों में सक्रिय हो जाएं और रिजल्ट पेश करें।
कमलनाथ के सर्वे में कमज़ोर पाए गए नेताओं में अंतर सिंह दरबार का नाम भी शामिल है और इसी वजह से दरबार अचानक सक्रिय हो उठे हैं। हालांकि महू में पार्टी के कमजोर पड़ने की एक वजह कांग्रेस के दूसरे नेताओं का दरबार के खिलाफ होना भी है।
इन नेताओं के मुताबिक तीन बार लगातार चुनाव हारने के बाद भी अंतर सिंह दरबार को ही टिकिट मिलना गलत है। इन नेताओं की मानें तो अब उन्हें भी विधायक बनने के लिए मौका मिलना चाहिए। इनमें मानपुर क्षेत्र के ग्रामीण नेता तो शामिल हैं ही शहरी नेता भी दरबार के लिए मुसीबत हैं।
माना जा रहा है कि चुनाव से पहले होने वाले सर्वे में अगर महू में स्थानीय नेता जीत के काबिल नहीं पाए गए तो कांग्रेस पार्टी भी भाजपा की तरह ही बाहरी उम्मीदवारों को महू से चुनाव लड़वाएगी। इनमें सबसे उपर चल रहा नाम सत्यनारायण पटेल का है। हालांकि पटेल महू आकर चुनाव लड़ते हैं या नहीं यह फिलहाल नहीं कहा जा सकता है लेकिन वे एक मजबूत विकल्प माने जा रहे हैं।
इसके बाद आदिवासी कार्यकर्ता आनंद राय भी टिकिट के लिए सक्रिय बताए जाते हैं। राय पिछले काफी समय से मानपुर इलाके में सक्रिय है। वे आदिवासियों से जुड़े काफी मामले उठाते रहे हैं।
दरबार का विरोध करने वाले शहरी नेताओं में सबसे पहला नाम छावनी परिषद में लंबे समय तक पार्षद रहे कैलाश दत्त पांडेय हैं। पांडेय, इस बार टिकिट लेने के लिए सबसे ज्यादा प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयास लॉक डाउन खत्म होने के बाद ही शुरु हो गए थे। इस दौरान वे कुछेक बार पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी मिल चुके हैं। वहीं महू के प्रभारी खरगोन विधायक रवि जोशी के भी वे नजदीकी बने हुए हैं।
इसके अलावा दरबार का रिकार्ड भी उनके लिए मुश्किल बना हुआ है। कैलाश विजयवर्गीय के सामने दो बार और फिर उषा ठाकुर के सामने चुनाव हारना उनकी राजनीतिक छवि के लिए मुश्किल भरा साबित हो रहा है।
बीते चुनाव में दरबार को जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन वे हार गए। पार्टी कार्यकर्ताओं के मुताबिक उनका चुनावी प्रबंधन बेहद कमजोर रहा और उनसे नाराज़ रहे कांग्रेसी नेताओं ने भी उनका साथ नहीं दिया। ऐसे में अब अगर फिर अंतर सिंह दरबार चुनाव लड़ना चाहते हैं तो उन्हें धार्मिक कार्यक्रमों और चुनरी यात्राओं से ज्यादा अब उन नेताओं को और कार्यकर्ताओं को मनाने की ज़रुरत है जो उनका बिगड़ा हुआ चुनावी प्रबंधन फिर संवार सकें।