नरसिंहपुर। ब्रह्मलीन शंकराचार्य की वसीयत को लेकर लोगों की जिज्ञासा और उत्सुकता के बीच श्रद्धांजलि सभा में ब्रह्मलीन शंकराचार्य के निजी सचिव ब्रह्मचारी सुबुध्दानन्द ने वसीयत का वाचन करते हुए कहा कि महाराज जी ने करीब सात साल पहले अपनी वसीयत निष्पादित कर दी थी जिसमें दोनों पीठों की विभिन्न आश्रमों और उनकी संपत्तियों के रखरखाव और व्यवस्था का उल्लेख है।
वसीयत स्टांप पर लिखी गई है जिसके जरिये उनका दावा है कि यह वसीयत महाराज श्री ने 92 वर्ष से अधिक की उम्र में की। वाचन करते हुए यह उल्लेख किया गया है कि वह अब 92 वर्ष से अधिक आयु के हो गए हैं व उनके स्वास्थ्य में शिथिलता आ रही है।
इस वजह से अब उनकी इच्छा है कि दोनों पीठों के विभिन्न आश्रमों की भूमि और दोनों पीठों की अगले उत्तरदायित्व का निर्वहन उनके उत्तराधिकारी करें ताकि दोनों पीठों और उनसे जुड़ी संपत्ति धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए सुरक्षित रह सके।
बता दें कि देश के विभिन्न राज्यों में महाराज श्री के करीब 250 से ज्यादा आश्रम और उनसे जुड़ी संपत्ति है जिनके वह ट्रस्टी या सर्ववाहकार हैं। उनकी भूमि और संपत्ति को लेकर इच्छा पत्र में व्यवस्था दी गई है।
वसीयत में यह भी उल्लेख किया गया है कि दो पीठों पर अलग-अलग दायित्व रहेगा जिसमें द्वारका पीठ पर दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती एवं ज्योतिर्मठ पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद उनके अगले उत्तराधिकारी होंगे।
श्रद्धांजलि सभा में बड़ी संख्या में लोग भी जुड़े। देश के विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में साधु-संत भी आए थे। बड़ी देर तक लोग ब्रह्मलीन शंकराचार्य की वसीयत सुनने व उसके ब्यौरे को जानने की उत्सुकता में बैठे रहे।
पट्टाभिषेक की तारीख तय नहीं –
उत्सुकता यह भी थी कि दोनों दंडी संन्यासी उत्तरधिकारियों के पट्टाभिषेक के लिए कौन सी तारीख घोषित हो रही है। परमहंसी गंगा आश्रम में पट्टाभिषेक के लिए मुहूर्त पर मतभिन्नता बनी रही जिससे पट्टाभिषेक ले लिए तारीख तय नहीं हो सकी।
काशी विद्वत परिषद एवं अन्य विद्वान मुहूर्त को लेकर अलग-अलग राय रख रहे हैं जिससे तारीख तय नहीं हो सकी। अब यह तय किया गया है कि दो-तीन दिन में नवरात्र के शुभ मुहूर्त में तारीख तक हो जाएगी।