इंदौर। महू तहसील में गवली पलासिया के किसान ओम प्रकाश पाटीदार बुधवार को अपने खेत में व्यस्त रहे। इस बार वे खेत में कोई फसल लगा या काट नहीं रहे थे बल्कि उखाड़ कर फेंक रहे थे। इलाके के कई दूसरे किसानों की तरह वे भी नकली बीजों की बिक्री का शिकार बने हैं और अब उनकी ढ़ाई बीघे में लगी पत्ता गोभी की फसल में डेढ़ महीने बाद भी कोई वृद्धि नहीं हुई है।
किसान अक्सर रोते नहीं लेकिन अपनी फसल उखाड़कर फेंकना कठिन काम है। ओमप्रकाश भी भारी मन से इसे उखाड़ कर फेंक रहे हैं वे कहते हैं कि इस बार दीपावली अच्छी होने की उम्मीद थी लेकिन…
इस बार उम्मीद थी…
इस इलाके में इस बार काफ़ी किसानों ने अपनी कद्दू की फसल छोड़कर पत्ता गोभी की फसल लगाई है। इसकी वजह इस बार पत्ता गोभी के बढ़े हुए दाम हैं। पिछले साल जहां पत्ता गोभी 2-5 रुपये प्रति किलो ग्राम बिक रहा था वह इस बार करीब 20 रुपये तक बिक रहा है।
ऐसे में किसानों को उम्मीद है कि उनका सारा घाटा यह फसल पूरा कर देगी। इसी उम्मीद में कई किसानों ने पत्ता गोभी की फसल उगाई है लेकिन इलाके के कुछ किसान इस मुनाफ़े को नहीं बना सकेंगे क्योंकि उन्होंने पत्ता गोभी का नकली या कहें बेहद ही हल्की गुणवत्ता का बीज बो दिया था। जिसमें आधा सीजन बीत जाने के बाद भी फल की कोई गुंजाईश नहीं नजर आ रही है। ऐसे में इलाके के किसान इसे उखाड़ कर फेंक रहे हैं।
यहां हुई धोखाधड़ी…
इलाके के करीब 35 किसानों ने महू के एक सागरे नाम के बीज डीलर से एस्सेन हाईवेज कंपनी का नीलोफ़र वैरायटी का यह बीज खरीदा था। शुरुआत में बीज अच्छा मिला लेकिन मांग बढ़ने के बाद कई किसानों को बिना कोटिंग का बीज दिया गया। किसानों ने इसकी शिकायत भी की थी लेकिन डीलर द्वारा इसे सही बताया गया और किसानों ने उनकी बात मानकर इसे लगा लिया। अब करीब डेढ़ महीने बाद पहले लगाए गए कोटिंग वाले बीज और बाद में लगाए गए बिना कोटिंग के बीज का अंतर दिख रहा है। दोनों की फसल के रंग में यह अंतर साफ नजर आ रहा है।
बिना कोटिंग के बीज से उपजे पौधों में अब तक गोभी के पत्ते ही नजर आ रहे हैं और मूल में कुछ भी नहीं है वहीं अच्छी गुणवत्ता वाला कोटेड बीज के पौधे में करीब 500 ग्राम का गोभी बन चुका है।
किसानों की इसकी शिकायत स्थानीय बीज विक्रेता डीलर, बीज बनाने वाली कंपनी के लोगों और होर्टीकल्चर के अधिकारियों से की है और सभी ने यह माना है कि किसानों को जो बीज दिया गया है वह गुणवत्ताहीन है लेकिन अब तक इनमें से किसी ने भी किसानों को उनके नुकसान की भरपाई का कोई आश्वासन नहीं दिया है। ऐसे में अब किसान अपनी फसल उखाड़ रहे हैं।
किसानी का गणित समझिये…
सुनने में सामान्य सा लगने वाला यह मामला किसानों के लिए एक बेहद गंभीर नुकसान साबित हो रहा है। इलाके में 35 किसानों ने 22 हजार रुपये प्रति किलोग्राम की दर से करीब 10 लाख रुपये का यह नकली बीज खरीदकर अपनी करीब दो सौ बीघा जमीनों पर लगाया है।
किसान बलराम पाटीदार बताते हैं कि उन्होंने इस बार कद्दू की फसल नहीं लगाई और खेत को खाली रखा ताकि आने वाली पत्ता गोभी की फसल को अच्छा पोषण मिल सके लेकिन पत्ता गोभी का बीज नकली मिला और इसका पता तब चला है जब पत्ता गोभी की फसल आने का समय हो चुका है।
बलराम पाटीदार ने 12 बीघा जमीन पर यह पत्ता गोभी लगाया है और उन्हें इसे पूरा ही फेंकना होगा। वे बताते हैं कि एक बीघा में 12-14 टन तक गोभी निकलता है। गोभी के आज के दाम के हिसाब से एक बीघा से किसान को ढ़ाई लाख रुपये तक मिलते। ऐसे में उनका करीब तीस लाख रुपये का नुकसान हुआ है। वहीं अगर संयुक्त रुप से देखा जाए तो किसानों पांच करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
इन किसानों ने अपने इस नुकसान के बारे में प्रशासनिक अधिकारियों को भी बताया लेकिन नतीजा सिफ़र रहा अब ये किसान मुख्यमंत्री से इस मामले में कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि नकली बीज और नकली खाद से हर साल सैकड़ों-हज़ारों किसानों को करोड़ों का नुकसान होता है लेकिन सरकार और प्रशासन इस पर ध्यान नहीं देते।
किसान अब बीज व्यापारी और संबंधित कंपनी के खिलाफ़ पुलिस शिकायत भी कर रहे हैं लेकिन वे जानते हैं कि उनका घाटा इससे पूरा नहीं होगा क्योंकि उन्हें मुआवजे के नाम पर कुछ हजार रुपये ही दे दिये जाएंगे। ऐसे में इस बार इन किसानों ने अपने इलाके में नकली बीज और खाद के खिलाफ़ खुलकर लड़ने की सोची है।
किसानों के मुताबिक वे इसके लिए स्थानीय अधिकारियों से लेकर, पलासिया गांव में ही रहने वाली राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार, जिला कलेक्टर मनीष सिंह से भी इन विसंगतियों की शिकायत करेंगे और इसकी सारी जानकारी मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे। किसानों के मुताबिक नकली खाद और बीज बेचने वालों पर प्रशासन को कार्रवाई करनी ही होगी।