भोपाल। राजनीतिक लाभ के लिए फ्री बीज़ यानी मुफ्त की सौगातें देने पर इन दिनों बड़ी बहस जारी है। यह बहस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भाषण के बाद शुरु हुई है। इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसके तहत राजनीतिक दलों को अपने चुनावी वादों या नीतियों के आर्थिक प्रभाव और लाभार्थियों की अपेक्षित संख्या के बारे में निर्वाचन आयोग को जानकारी देने के लिए निर्देश दिया जा सकता है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट मुफ्त सौगातों के संबंध में चुनावों के दौरान की जाने वाली घोषणाओं के मुद्दे पर गौर करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने पर विचार कर रहा है। न्यायालय ने इस मुद्दे पर केंद्र, निर्वाचन आयोग, वित्त आयोग और नीति आयोग सहित सभी पक्षों से सुझाव मांगे हैं। इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 22 अगस्त को होनी है।
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि इसमें कोई विवाद ही नहीं है कि राजनीतिक दल लोगों के कल्याण के लिए अपनी योजनाओं की घोषणा कर सकते हैं लेकिन यह भी आवश्यक है कि राजनीतिक दलों द्वारा अपने चुनावी घोषणा पत्र में घोषित योजनाओं के वित्तीय प्रभाव की जानकारी मतदाताओं को होनी चाहिए।
उपाध्याय ने अपने वकीलों के माध्यम से कोर्ट में दलील दीं कि पंजीकृत राजनीतिक दलों को मुफ्त या कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित चुनावी वादों से जुड़ी जानकारी निर्वाचन आयोग को पेश करने के लिए कहा जाना चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया और वकील अश्विनी दुबे के जरिए शुक्रवार को अतिरिक्त दलीलें पेश कीं।