दो साल पहले बचायी गयी चोरल नदी में घुस आये खनन ठेकेदार, बेखबर हैं तहसीलदार


इंदौर-खंडवा राज्यमार्ग पर चोरल गांव में से निकल रही चोरल नदी के अंदर यह खनन पिछले काफी दिनों से जारी है। नदी के अंदर एक काफी बड़े हिस्से में यह खनन किया जा रहा है। नदी में से अब तक सैकड़ों डंपर मुरम निकाली जा चुकी है।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
हवा-पानी Updated On :
इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र में चोरल नदी में हो रहा है खनन


इंदौर।  कुछ साल पहले तक लगभग खत्म हो चुकी चोरल नदी को पुनर्जीवित  किया गया था और इस काम को राष्ट्रीय जल पुरस्कार भी मिला था। अब उसी चोरल नदी में बड़े पैमाने पर खनन हो रहा है जिस पर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।

चोरल के अंदर हो रहे इस खनन को पूरी तरह वैध बताया जा रहा है लेकिन इससे नदी की आंतरिक संरचना को नुकसान पहुंचना तय है। ऐसे में शायद फिर ये नदी बचाई न जा सके।

 

इंदौर-खंडवा राज्यमार्ग पर चोरल नदी में बड़े पैमाने पर खनन जारी है जिससे नदी के रिवर बेल्ट में नुकसान होने की आशंका है। नदी के अंदर खनन करना नैतिक और कानूनी दोनों पैमानों पर गलत है। यह खनन पिछले काफी दिनों से जारी है। नदी के अंदर एक काफी बड़े हिस्से में यह खनन किया जा रहा है। बताया जाता है कि यहां महू के एक ठेकेदार की कंपनी चोरल से राजपुरा तक करीब दस किमी लंबी सड़क बना रही है।

इस बारे में  उक्त ठेकेदार से बात करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो सका। मामले में अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन ठोस जवाब नहीं मिला। इसके बाद सिमरोल क्षेत्र के नायब तहसीलदार संजय जायसवाल ने बताया कि

  मुझे नहीं पता कि मेरे क्षेत्र में नदी के अंदर ऐसा कोई अवैध खनन हो रहा है लेकिन यदि ऐसा है तो मैं कल ही इस मामले को देखूंगा

 

नदी के अंदर खनन कार्य में जिन भी वाहनों का प्रयोग किया जा रहा है उनमें से किसी पर भी नंबर नहीं हैं, हालांकि यहां मौजूद वाहन के एक ड्राईवर ने जानकरी देते हुए महू के गर्ग कंस्ट्रक्शन का नाम लिया। उन्होंने यह भी बताया गया कि खनन के लिए अनुमति ठेकेदार के पास है जिसके कारण वे काफी समय से यह काम कर पा रहे हैं।

ग्रामीणों के मुताबिक नदी में से अब तक सैकड़ों डंपर मुरम निकाली जा चुकी है और यह मुरम करीब आधा किलोमीटर दूर डंप की जा रही है। नदी में से निकाली जाने वाली खनिज संपदा को इस तरह से व्यापारिक उपयोग में नहीं लिया जा सकता है लेकिन यहां इस काम पर कोई रोक-टोक नहीं है।

 

उल्लेखनीय है कि कुछ वर्ष पहले चोरल नदी को पुर्नजीवित करने का अभियान चलाया गया था। इस काम को इंदौर की सामाजिक संस्था नागरथ चैरिटेबल ट्रस्ट ने किया था इस प्रयास को राष्ट्रीय जल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उस समय जिला पंचायत सीईओ नेहा मीणा ने यहा पुरस्कार लिया था।

इस दौरान संस्था के सुरेश एमजी और उनकी टीम ने काफी मेहनत की और बेहद कम संसाधनों में चोरल नदी को फिर से पानीदार बना दिया जिसका लाभ आसपास के कई गांवों को मिला और केवल मजदूरी पर आश्रित रहने वाले यहां के आदिवासी खेती करके भी अपनी रोजी-रोटी कमाने लगे हैं।

सुरेश एमजी

नागरथ चैरिटेबल ट्रस्ट के सुरेश एमजी कहते हैं कि 

हमने इस नदी पर काफी मेहनत की थी और नदी फिर अपनी पुरानी  सूरत में आ गई थी लेकिन अब इस तरह नदी के बीचों-बीच खनन होना हैरान करने वाला और दुखद है। इससे नदी की आंतरिक संरचना प्रभावित होगी। जिसका असर आसपास के क्षेत्र में होगा। इसी तरह नदियां इंसानों से परेशान होकर उनका साथ छोड़ देती हैं।



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