सरपंच बनने के बाद भी नहीं छोड़ा हम्माली का काम, बोले- काम के साथ करुंगा जनता की सेवा


सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि धर्मेंद्र बामनिया सरपंच चुने जाने के अगले दिन अपना हम्माली वाला काम अगले दिन से ही चालू कर दिया।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :
dharmendra bamania

धार। ऐसा कहा जाता है कि अगर कुछ करने की चाहत हो तो कुछ भी असंभव नहीं। ऐसा ही कारनामा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रथम चरण के मतदान के बाद कर दिखाया है एक विरले व्यक्ति धर्मेंद्र बामनिया ने जोकि पेशे से हम्माली का कार्य करते हैं।

कहा जाता है कि समाज सुधार करने के लिए राजनीति एक सशक्त माध्यम है। बाग जैसे क्षेत्र में जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने पर धर्मेंद्र बामनिया ने सरपंच बनने की ठानी और उनके इस निर्णय पर क्षेत्र की समस्त जनता ने सहयोग किया और उन्हें पंचायत चुनाव में जीत दर्ज करा दी।

ऐसा कहा भी जाता है कि जिसका प्रचार जनता खुद करे, उसे कोई हरा नहीं सकता और ऐसा ही कारनामा करके दिखाया है बाग की जनता ने जिनका पूरा विश्वास धर्मेंद्र बामनिया पर था और पेशे से हम्माल धर्मेंद्र बामनिया के चुनाव चिन्ह पर मतदाताओं ने अपनी मुहर लगा दी।

बाग पंचायत का एक सरपंच ऐसा भी –

मध्यप्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का प्रथम चरण 25 जून को पूर्ण हुआ है और इस 25 जून को मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपने क्षेत्र व गांव के विकास के लिए जनप्रतिनिधियों को चुना है।

इस वक्त हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के धार जिले की ग्राम पंचायत बाग की जिसमें नवनिर्वाचित धर्मेंद्र बामनिया के रूप में एक अनोखा सरपंच देखने को मिला जो हम्माली करने का कार्य करते हैं। धर्मेंद्र आदिवासी समाज के गरीब परिवार से आते हैं जो प्रतिदिन गांव में हम्माली करते हैं।

इसके साथ ही धर्मेंद्र बामनिया गांव में विषैले सांपों को पकड़ने का सेवा प्रकल्प भी चलाते हैं। धर्मेंद्र बामनिया नवनिर्वाचित सरपंच चुने गए हैं जिन्हें जनता ने भारी बहुमत से विजय दिलाई और खुद जनता ने चुनाव के पूर्व धर्मेंद्र बामनिया के लिए प्रचार व जनसंपर्क किया।

विजय होने के बाद अगले दिन काम पर –

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि धर्मेंद्र बामनिया सरपंच चुने जाने के अगले दिन अपना हम्माली वाला काम अगले दिन से ही चालू कर दिया।

बामनिया सरपंच बने तो गांव में चौराहों पर, मोहल्लों में, घर-घर चर्चा हो रही है कि हमारे गांव में भी एक हम्माली करने वाला हम्माल सरपंच बन गया है, जो गांव का विकास करेगा व गरीब सरपंच होने के कारण गरीबों के दर्द को समझेगा।

धर्मेंद्र बामनिया से जब देशगांव के प्रतिनिधि ने चर्चा की तो पता चला कि धर्मेंद्र बामनिया अपने एक पतरे वाले कच्चे मकान में रहते हैं। गरीब परिवार से इनका संबंध है। इनके एक भाई आर्मी में हैं जो देशसेवा कर रहे हैं।

देशगांव का प्रतिनिधि जब धर्मेंद्र के घर गया तो उनके घर की स्थिति देखी जिससे पता चला कि एक गरीब परिवार का व्यक्ति सरपंच बना है और गांववालों का ऐसा मानना है कि वह गरीबों के हितों की लड़ाई लड़ेगा एवं प्रशासन की योजनाओं का लाभ गरीबों व जरूरतमंदों को दिलाएगा।



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