भोपाल। खंडवा के ओंकारेश्वर में प्रदेश सरकार आदि शंकराचार्य की 108 फुट ऊंची मूर्ती लगाने जा रही है। इसके लिए यहां एक बड़े इलाके को विकसित किया जा रहा है। जिसके विरोध में खंडवा के साधु संत और पर्यावरण प्रेमी मंगलवार को भोपाल में शांतिप्रद प्रदर्शन कर रहे थे इसी दौरान पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे इन लोगों को सख़्ती भी की गई।
प्रदर्शन कर रहे इन लोगों ने बताया कि वे भोपाल में कई स्थानों पर अलग-अलग शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे और लोगों का ध्यान इस योजना के कारण हो रहे प्राकृतिक नुकसान की ओर खींच रहे थे लेकिन इस दौरान पुलिस आई और बिना ज्यादा बातचीत किए उन्हें धक्का-मुक्की करते हुए गाड़ी में बैठाकर थाने ले गई। प्रदर्शन करने पर गिरफ्तार किये गए लोगों ने बताया कि इस दौरान पुलिसकर्मियों ने साधु संतों के साथ अभद्रता भी की जो कैमरे में कैद भी हुई है।
खंडवा में जो आदि शंकराचार्य की मूर्ती लगाई जा रही है वहां पवित्र पर्वत पर बड़े पैमाने पर काम हो रहा है। इसके लिए एक बड़ा प्लेटफार्म बनाया जा रहा है और कोशिश है कि यह तीर्थ स्थल एक बड़े पर्यटन स्थल के रुप में भी विकसित किया जाए। स्थानीय लोग और यहां के पर्यावरण प्रेमी सरकार की इस योजना का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि एक महान तीर्थ को इस तरह एक पिकनिक स्पॉट बनाया जाना ठीक नहीं है।
खबरों की मानें तो इस पूरी योजना में करीब दो हजार करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे और इस कवायद में करीब दस हजार पेड़ काटे जाएंगे। इस विकास का विरोध स्थानीय साधु सन्यासी ही कर रहे हैं लेकिन उनकी आवाज़ को लगातार दबाया जा रहा है। इसे लेकर पर्यावरण प्रेमियों और साधु संतों का प्रदर्शन काफी समय से चल रहा है।
आदि शंकराचार्य की यह मंधाता पर्वत पर मूर्ती 108 फुट उंची होगी होगी और इसे जिस प्लेटफार्म पर रखा जाएगा वह करीब 54 फुट ऊंचा होगा। इस तरह इस पूरे स्ट्रक्चर की कुल ऊंचाई करीब 162 फुट की होगी। मंधाता पर्वत को मान्यताओं के अनुसार बेहद पवित्र माना जाता है। यहां इस पूरी योजना के लिए करीब 7.5 हेक्टेयर जमीन पर मूर्ति और शंकर संग्रहालय स्थापित बनाया जा रहा है। इसके अलावा नर्मदा नदी के दूसरी ओर पांच हेक्टेयर क्षेत्र में एक गुरुकुलम विकसित किया जाएगा। इसके साथ ही 10 हेक्टेयर क्षेत्र में आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान विकसित किया जाएगा।
इस योजना का विरोध अब तक खंडवा में तो होता ही रहा है इसके साथ ही इंदौर, खरगोन, बड़वानी और भोपाल में भी इसे लेकर छोटे बड़े प्रदर्शन किए गए हैं। इस योजना का विरोध कर रहे डॉ. नीलेश शर्मा कहते हैं कि जिस प्राचीन और पवित्र पर्वत पर इस विकास के बहाने चढ़ाई और तोड़फोड़ की जा रही है उसे एक शिवलिंग की माना जाता है ऐसे में सरकार का धर्म के नाम पर इस पर्वत पर किया जा रहा यह विकासकार्य कितना धार्मिक है। इसके अलावा भी इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों को काटा जाना भी पर्यावरण के लिहाज से सही नहीं है।