इस वर्ष गंगा दशहरा पर्व ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि यानी 9 जून गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है।
दशमी तिथि 9 जून सुबह 8 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और तिथि का समापन 10 जून सुबह 7 बजकर 25 मिनट पर होगा। इसके साथ ही इस दिन हस्त नक्षत्र और व्यतीपात योग भी रहेगा। इस योग में दान करना अति शुभदायी माना जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां गंगा ब्रह्मा जी के कमंडल से निकलकर भगवान शिव की शिखाओं से होती हुई धरती पर अवतरित हुई थीं। तब से ही इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
देवी गंगा का 10 दिव्य योग की साक्षी में पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। वह योग- ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुधवार का दिन, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर करण, आनंद योग, कन्या राशि का चंद्रमा व वृषभ राशि का सूर्य को दश महायोग कहा गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा नदी पर स्नान करने और दान-पुण्य करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन जल, अन्न, फल, वस्त्र, पूजन व सुहाग सामग्री, सत्तू, मटका, हाथ का पंखा, घी, नमक, तेल, शकर और स्वर्ण का दान करना अतिलाभदायी माना गया है।
इस दिन 10 पंडितों को 10 तरह के दान दिए जाते हैं। इस दिन गंगा में 10 डुबकी लगाएं। मां गंगा की पूजा में जिस भी सामग्री का उपयोग करें उसकी संख्या 10 ही होनी चाहिए। जैसे 10 दीये, 10 तरह के फूल, 10 दस तरह के फल आदि क्योंकि यह दिन 10 प्रकार के पापों का नाश करने वाला भी माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार गंगा अवतरण के इस पावन दिन गंगा नदी में स्नान एवं पूजा-उपवास तथा उपासना करने वाला व्यक्ति दस प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है।
शास्त्रों के मुताबिक, दुनिया में 10 प्रमुख पाप इस प्रकार हैं। तीन प्रकार के दैहिक, चार वाणी के द्वारा किए हुए एवं तीन मानसिक पाप, ये सभी गंगा दशहरा के दिन पतितपावनी गंगा स्नान से धुल जाते हैं।