OBC आरक्षण: फैसला सरकार के पक्ष में लेकिन फिर भी 27 प्रतिशत की मांग रहेगी अधूरी


एससी, एसटी और ओबीसी को मिलाकर होना चाहिए पचास प्रतिशत तक आरक्षण, प्रदेश में कुल 51 प्रतिशत आबादी ओबीसी


Manish Kumar Manish Kumar
बड़ी बात Updated On :

भोपाल। मध्यप्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में OBC वर्ग को आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि एक सप्ताह में आरक्षण की अधिसूचना और फिर अगल एक हफ्ते के अंदर चुनाव की अधिसूचना जारी की जाए।  एडवोकेट वरुण ठाकुर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि आरक्षण किसी भी स्थिति में OBC, SC/ST को मिलाकर 50%  से अधिक नहीं होगा। इस सूरत में ओबीसी को 14 प्रतिशत से अधिक आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा क्योंकि बाकी दोनों श्रेणियों को मिलाकर पहले ही 36 प्रतिशत आरक्षण है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इसे ऐतिहासिक दिन बताया है।

मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा ओबीसी को आरक्षण देने से इंकार कर दिया था जिसेक बाद सरकार के द्वारा एक संशोधित याचिका लगाई गई थी। इस याचिका पर सुनवाई जारी थी और बुधवार को इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला रख दिया है। सरकार ने OBC आरक्षण देने के लिए कोर्ट में  साल 2011 की जनसंख्या के आंकड़े प्रस्तुत किए थे। इसके अनुसार प्रदेश में OBC की 51% आबादी बताई गई है। सरकार ने दलील दी थी कि ओबीसी की बहुतायत होने के कारण इस जाति को इसी आधार पर न्याय मिलना चाहिए।

ओबीसी का यह मामला बेहद संवेदनशील है और दोनों ही पार्टियां अपना वादा पूरा नहीं कर पाईं हैं। ऐसे में सभी के नेता इस मामले में संभल कर बोल रहे हैं और इस बीच वे आरोप प्रत्यारोप के साथ अपनी राजनीति भी पूरी कर रहे हैं।  पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसी मुद्दे पर सरकार को घेरा है।

हालांकि, रोटेशन पद्धति के बिना पंचायत चुनाव कराने के राज्य सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है। यह चुनौती कांग्रेस नेता सैयद जाफर ने दी है। फैसला आने के बाद उन्होंने कहा कि अब जनपद पंचायतों के अनुसार आरक्षण तय होगा। यदि किसी जनपद पंचायत में अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनंसख्या 30% और अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या 25% है तो ओबीसी को कोई आरक्षण नहीं मिलेगा।

वहीं, यदि किसी जनपद पंचायत में अनुसूचित जनजाति वर्ग की जनंसख्या 30% और अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या 15% है तो ओबीसी को 5% आरक्षण मिलेगा। यदि जनपद पंचायत में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति की जनसंख्या 5-5% है। यानी ओबीसी की जनंसख्या 40% है, तो ऐसी स्थिति में ओबीसी वर्ग को 35% से अधिक आरक्षण नहीं मिलेगा।

कोर्ट के फैसले के साथ ही प्रदेश में बड़ी राजनीति शुरु हो चुकी है। ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग हो रही थी लेकिन कानूनन अब 14 प्रतिशत ही मिल सकेगा। ऐसे में कांग्रेस इसे सरकार की अधूरी कामयाबी की तरह पेश कर रही है। वहीं कांग्रेसी नेता इस अधूरी कामयाबी को भी अपने दबाव का नतीजा बता रहे हैं। इसके साथ ही भाजपा इस लेकर कांग्रेस पर काफी सवाल खड़े कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि कांग्रेस को 27प्रतिशत आरक्षण देना था तो उन्होंने क्यों कोर्ट में अपने वकील खड़े नहीं किये।

इसके अलावा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी कांग्रेसियों पर जमकर हमला बोला है।

इसके पहले दोनों ही पार्टियों ने अपने आप को ओबीसी का सबसे बड़ा हिमायती दिखाने की कोशिश की है। सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआती फैसले में आरक्षण की मनाही की थी जिसके बाद कांग्रेस ने अपने अंदरूनी टिकट में 27  प्रतिशत ओबीसी आरक्षण देने की बात कही थी इसे देकर भाजपा के प्रदेशाध्यक्षण वीडी शर्मा ने भी इसी तरह एक कदम आगे बढ़कर इससे भी अधिक टिकिट ओबीसी को देने का वादा किया था।



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