भोपाल/नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को चुनाव कराने का आदेश देते हुए अपना फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पांच साल में चुनाव करवाना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है। दो सप्ताह में इसके लिए अधिसूचना जारी करें।
कोर्ट ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के लिए तय शर्तों को पूरा किए बिना आरक्षण नहीं मिल सकता। अभी सिर्फ SC/ST आरक्षण के साथ ही चुनाव कराने होंगे।
SC says pro OBC parties are free to nominate OBC candidates for general category seats in local body polls
— ANI (@ANI) May 10, 2022
वहीं ताजा घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अभी सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आया है। अभी हमने विस्तृत अध्ययन नहीं किया है।
ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायत चुनाव हों, इसके लिए रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे और पुन: आग्रह करेंगे कि स्थानीय चुनाव, स्थानीय निकायों के चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ हों।
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला जया ठाकुर और सैयद जाफर की याचिका पर सुनाया। जाफर ने बताया कि कोर्ट ने आदेश दिया है कि राज्य निर्वाचन आयोग 15 दिन के अंदर पंचायत एवं नगर पालिका के चुनाव की अधिसूचना जारी करें।
ओबीसी आरक्षण के मामले में प्रदेश की भाजपा सरकार की रिपोर्ट को कोर्ट ने अधूरा माना है। अधूरी रिपोर्ट होने के कारण मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग को चुनाव में आरक्षण नहीं मिलेगा इसलिए अब स्थानीय चुनाव 36% आरक्षण के साथ ही होंगे।
इसमें 20% ST और 16% SC का आरक्षण रहेगा जबकि, शिवराज सरकार ने पंचायत चुनाव 27% OBC आरक्षण के साथ कराने की बात कही थी इसीलिए यह चुनाव अटके हुए थे।
राज्य सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की थी। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था और मंगलवार को अपना फैसला सुनाया।
आयोग ने ओबीसी को 35 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की थी लेकिन, राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण को लेकर कोर्ट के आदेश अनुसार ट्रिपल टेस्ट नहीं करा सकी।
कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट को पूरा करने के लिए और समय नहीं दिया जा सकता। बिना ओबीसी आरक्षण के ही स्थानीय निकाय के चुनाव कराए जाएंगे।