भोपाल। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के साकेत नगर सेवाकेंद्र पर दो दिवसीय मीडिया प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। यहां वरिष्ठ पत्रकारों ने युवाओं को मूल्यनिष्ठ और सकारात्मक पत्रकारिता की बारीकियों से रुबरु कराया। इसके साथ प्रेक्टिकल में कैमरा हेंडलिंग, फोटोग्राफी, वीडियो शूटिंग सहित समाचार लेखन की तकनीक और संपादन कला की मूलभूत बातें साझा कीं।
कार्यशाला में भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार अनुज शर्मा ने कहा कि आजादी की लड़ाई में पत्रकारिता और समाचार पत्रों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।उस समय लोगों ने अपनी जमीन-जायदाद बेचकर अखबार निकाले। यहाँ तक कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लिखने पर कई पत्रकार और संपादकों ने जेल तक की सजा भुगती। समाज को नई दिशा देने, जागरूक करने में पत्रकारिता का महत्वपूर्ण स्थान है।
उन्होंने मीडिया और जनसम्पर्क को स्पष्ट करते हुए कहा कि आपका आचरण और व्यवहार ही सबसे बड़ा जनसंपर्क है। समाज, संस्थान और मीडिया के बीच परस्पर मधुर संबंध बनाए रखना ही एक जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) का कार्य होता है। हर वो घटना समाचार है जिसे ज्यादा से ज्यादा लोग जानना चाहें। संस्था में हो रहे सामाजिक कार्यों की रिपोर्ट और समाचार साधारण, सरल शब्दों में मीडिया तक पहुंचाना ही जनसंपर्क है।
सागर से आये वरिष्ठ पत्रकार लेखक पुष्पेंद्र साहू ने कहा कि एक आदर्श प्रेसनोट के लिए जरूरी है कि उसमें हिंदी की वर्तनी सही हो, भाषा में एकरूपता हो, सरल शब्दों का उपयोग किया गया हो। प्रेसनोट बनाते समय सबसे पहले एक मुख्य हैडिंग लिखें जो पूरे समाचार का प्रतिनिधित्व करें।
उन्होंने बताया कि हैडिंग सबसे महत्वपूर्ण है और ऐसे में उसका आकर्षक होना बेहद जरुरी है। इसके साथ ही वह उस कार्यक्रम के अनुरूप होनी चाहिए। इसके बाद दो सब हैड बनाएं जो मुख्य हैडिंग को सपोर्ट करते हों। इसके बाद दिनांक, माह और स्थान (डेटलाइन) लिखने के बाद ही खबर की शुरुआत करें। ध्यान रखें कि हमारी खबर में कब, कहां, कैसे, कौन, क्या, कितने आदि छह ककारों का समावेश हो।
उन्होंने बताया कि ख़बर का इन्ट्रो यानी शुरुआती हिस्सा 50 से अधिक शब्दों का न हो। इसके साथ ही इन्ट्रो में पूरी ख़बर का सार आना जरूरी है। इंट्रो के बाद ख़बर की बॉडी आती है जिसमें मुख्य अतिथि का संबोधन, मुख्य वक्ता, विशेष अतिथि के वक्तव्य के बाद कार्यक्रम से जुड़े अन्य पहलुओं को शामिल किया जाता है। पूरे समाचार में नवीनता, सटीकता, स्पष्ठता, सरलता होना बहुत जरूरी है। समाचार लिखते समय भाव-भंगिमाओं के अनावश्यक प्रयोग से बचना चाहिए।
साहू ने कहा कि एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है, इसलिए फ़ोटो निकालते समय ध्यान रखें कि हम उसमें जिस सब्जेक्ट को दिखाना चाह रहे हैं वह उसमें शामिल है कि नहीं। कभी की अखबारों में जूते-चप्पल दिखते या पब्लिक की पीठ दिखाती तस्वीर प्रकाशित नहीं होती है। फ़ोटो में ध्यान रखें कि बेड स्पेस न हो। ऐसे में जरुरी है कि फोटो पास से लिया जाए हो और उसकी क़्वालिटी अच्छी हो ताकि वह बेहतर नज़र आए।
भोपाल के ही वरिष्ठ पत्रकार संदीप नायक ने सायबर क्राइम और सोशल मीडिया के बारे में बताते हुए कहा कि आज हम सभी को सायबर क्राइम से बचना सबसे बड़ी चुनौती है। कभी भी मोबाइल में अपने जरूरी पासवर्ड या महत्वपूर्ण जानकारी सेव न करें और लालच देने वाली लिंक न खोलें।
सेवाकेंद्र प्रभारी बीके अंजू दीदी ने सभी ट्रेनर्स का आभार जताया और कार्यशाला को वर्तमान परिवेश के लिए जरूरी बताया। इस मौके पर बीके सुरेंद्र, अरुणेन्द्र भाई सहित पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने के इच्छुक युवा मौजूद रहे।