इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर देश और दुनिया में स्वच्छता में नंबर वन हाेने से विशिष्ट पहचान है। इस शहर में अब एक नई पहल होने जा रही है। यहां की प्राण वायु हमेशा स्वस्थ हो और वायू प्रदूषण का स्तर हमेशा न्यूनतम रहे, इस दिशा में एक चिंतन शुरू हुआ है।
क्लीन एयर कैटालिस्ट’ (सीएसी) प्रोजेक्ट के तहत इंदौर में 22 फरवरी को इंदौर और पीथमपुर के उद्योग जगत के लोगों से विमर्श का कार्यक्रम हुआ। चर्चा में मुख्य रूप से सभी उद्योगपतियों से और उद्योग जगत के लोगों से वायु प्रदूषण संबंधी विषय के विशेषज्ञों से यह जानने का प्रयास किया है कि किस तरह से इंदौर और उससे जुड़े हुए शहर को वायु प्रदूषण के स्तर को कम रखते हुए उससे होने वाले खतरों से मुक्त रखा जा सकता है।
इस मौके पर वर्ल्ड सोर्स इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अजय नागपुरे ने विशेष रूप से अपनी बात रखी। उन्होंने बहुत ही तकनीकी और वैज्ञानिक तौर पर यह बताने का प्रयास या कि वायु प्रदूषण के कारण कौन-कौन से हैं। उनके कारण होने वाले प्रभाव क्या है। इसके साथ ही उन्होंने इससे होने वाली बीमारियों के बारें में बताया। डॉ. नागपुरे ने बताया कि वर्तमान में वायु प्रदूषण के कारण मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है।
इस मौके पर डॉ भार्गव ने बताया कि किस तरह से वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। उन्होंने कुछ व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से स्वास्थ्य पर बुरे असर को लेकर चर्चा की। उन्होंने बताया कि हमारा मकसद यह है कि इंदौर और उसके आसपास के शहरों को वायु प्रदूषण के न्यूनतम स्तर पर रखा जाए। जिससे कि लोगों की सेहत पर असर नहीं हो।
विषय विशेषज्ञ जावेद वारसी ने बताया कि किस तरह से नगरी निकाय अपने कचरा प्रबंधन के मामले में कार्य कर रही है। वायु प्रदूषण को लेकर इस तरह की चिंताएं हैं। और आने वाले समय में क्या चुनौतियां हैं। उनको कैसे दूर किया जा सकता है।
इस मौके पर विशेष रूप से पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी सहित वरिष्ठ पदाधिकारी डॉ दर्शन कटारिया आदि मौजूद थे। गौतम कोठारी ने बताया कि किस तरह से उद्योग जगत अपने स्तर पर वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए कार्य कर रहा है।
इसके लिए उद्योग जगत अपनी ओर से बड़ी रकम खर्च करके जल व वायु प्रदूषण के लिए आधुनिक तकनीकों के प्लांट लगा रहा है। वहीं डॉ दर्शन कटारिया ने विशेष रूप से बताया कि किस तरह से सूक्ष्म से सूक्ष्म चीजों के कारण हम वायु प्रदूषण को बड़े व्यापक रूप में ले जा रहे हैं। जानवरों के मल से होने वाले वायु प्रदूषण के बारे में भी उन्होंने बहुत सटीक व तकनीकी बातें रखी।
इंदौर व जकार्ता में चलेगा प्रोजेक्ट… विश्व में दो स्थानों वायु प्रदूषण से निपटने के अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट ‘क्लीन एयर कैटालिस्ट’ (सीएसी) की गतिविधि होंगी। परियोजना भारत के इंदौर शहर में तथा इंडोनेशिया के जकार्ता शहर का चयन किया गया।
केवल विश्व के 2 देशों का ही चयन किया गया है। अंतरराष्ट्रीय संस्था यूएस-एड, वर्ल्ड रिसोर्स (डब्ल्यूआरआई) एनवायरन्मेंटल डिफेंस फंड (ईडीएफ) के सहयोग से यह कार्यक्रम 2025 तक चलेगा।
इसके प्रयोग के परिणाम और अनुभव से ही विकासशील देशों के शहरों में वायु प्रदूषण से निपटने की रणनीति तय होगी। इस दिशा में विशेष रुप से वायु प्रदूषण को रोकने के लिए लोगों से ही जानकारी संकलित की जाएगी और उनके रोकथाम के उपाय भी बताएं जाएंगे। इंदौर एक व्यवसाय की नगरी है और यहां पर बहुत तेजी से विकास भी हो रहा है।
विकास के दौर में यहां के हालात देश और दुनिया के किसी प्रदूषित शहर जैसे नहीं हो इसलिए यहां पर विशेषज्ञों द्वारा अध्ययन किया जाएगा। बहुत ही सूक्ष्म स्तर पर यहां पर जानकारी संकलित की जाएगी और अगले चरण में यह बताया जाएगा कि किस तरह से वायु प्रदूषण के स्तर को न्यूनतम रखा जा सकता है। जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित ना हो।
प्रोजेक्ट की विशेषताएं
- जेंडर समानता की बात की गई है। जिसमें महिलाओं के वायु प्रदूषण को लेकर भी चिंतन किया गया है।
- इसके अलावा एक ऐसा वर्ग जो गरीब है जो कि वायु प्रदूषण के बारे में स्वयं जागरूक नहीं हो सकता है। उसको लेकर भी व्यापक कार्य होगा।
- वर्तमान में सबसे गंभीर विषय जलवायु परिवर्तन है। इसलिए इस परियोजना में जलवायु परिवर्तन को भी साथ में जोड़ा जाए।