लहसुन की फसल में लगी बीमारियों को देखकर किसान परेशान, पैदावार पर पड़ेगा असर


पहले ही किसान कोरोना की मार से परेशान थे। उसके बाद किसानों ने खरीफ की फसल लगातार बारिश होने के बाद बड़े अरमान से रबी की फसल की बुवाई की थी, लेकिन लहसुन की फसल में रोग लगना शुरू हो गया है।


आशीष यादव आशीष यादव
उनकी बात Updated On :
garlic crops insect

धार। एक ओर लहसुन की फसल को लेकर आए दिन सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते हैं वहीं दूसरी ओर खेतों में लहसुन की फसल खराब होने से किसान चिंतित और परेशान हैं। वही ठंड भी अपना असर दिखा रही है।

इससे रबी सीजन की फसलों को लेकर किसानों को चिंता होने लगी है। लहसुन की फसल में पीलापन व थेप्स आ रहा है। किसानों का कहना है कि लहसुन में पीला मोजक का रोग होने लगा है। फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए किसान प्रयास कर रहे हैं।

पहले ही किसान कोरोना की मार से परेशान थे। उसके बाद किसानों ने खरीफ की फसल लगातार बारिश होने के बाद बड़े अरमान से रबी की फसल की बुवाई की थी, लेकिन लहसुन की फसल में रोग लगना शुरू हो गया है।

इसके कारण किसानों के सिर पर फिर से चिंता के बादल मंडरा रहे हैं। किसानों द्वार रबी मौसम में लहसुन फसल की बुवाई जिले में लगभग सभी क्षेत्रों में की गई है, लेकिन वर्तमान में तापमान की अधिकता के कारण लहसुन की फसल में पीलेपन होने व जड़ व तने में फफूंद लगने से किसानों की परेशानी बढ़ रही है।

रोग निदान के लिए किसानों ने दवाई की दुकानों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं। लहसुन की फसल में थिप्स व फंगस से डर लगने लगा है। वहीं बारिश की कमी से किसान परेशान हो रहे हैं।

ग्रामीण क्षेत्र में किसान का कहना है कि पिछले साल लहसुन के भाव अधिक होने के कारण इस साल भी किसानों ने अधिक लहसुन की फसल बोई है। अधिक ठंड गिरने से लहसुन में बीमारियां आने लगी हैं।

लहसुन की फसल पर तीन से चार बार दवाई का छिड़काव कर दिया है फिर भी बीमारी खत्म नहीं हो रही है। अब की बार बारिश की कमी के कारण किसान पहले ही परेशान हैं और ऊपर से फसलों में बीमारी का प्रकोप बढ़ने लगा है।

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी मौसम में बदलाव हुआ है। इससे भी फसलों पर बीमारियों का खतरा मंडराने लगा है और दो सप्ताह से दिन में अधिक ठंड गिर रही है, इससे भी फसलों को नुकसान हुआ है।

ग्रामीणों ने बताया कि 30 से 35 हजार बीघा का खर्चा लगता है। अधिक ठंड गिरने से लहसुन के पत्ते भी सूख रहे हैं और फसल में पीलापन आ रहा है। सरकार की ओर से कोई राहत नहीं मिल रहा है। जो खर्च लगा है उससे निजात मिल सके, यही हमारे लिए बड़ी बात होगी।

बचाव के उपाय –

लहसुन में कई बार कच्ची खाद डालने से वह जड़ों को सड़ाने लगती है। वहां कीड़े पड़ जाते हैं इससे लहसुन की फसल पीली पड़ने लगती है। वहीं दूसरी ओर सर्दी पड़ने पर पत्तियों पर सिल्वर जैसा कीड़ा लग जाता है। सर्दी के दिनों में इन कीड़ों का प्रिय भोजन है पत्तियां।

यह कीड़ा खास कर लहसुन और प्याज की फसलों में लगता है। इसे बैंगनी दोष रोग होता है। इससे बचाव के लिए क्लोरोफिट दवा का छिड़काव करना होता है। वहीं कार्बनडॉजिन प्लस मॉनाटोजेफ का दो छिड़काव करना है। कीटनाशक का दो बार छिड़काव करना है।

एक बार छिड़काव के बाद करीब 8 से 10 दिन बाद फसल के पत्ते पर छिड़काव करें। उसके पहले फसल पर चिपको पदार्थ डालना चाहिए जिससे कीटनाशक पत्तों पर ठहर सके।

किसानों द्वारा जल्दबाजी में बोवनी करने के साथ ही बीच में कोहरा व मावठे के कारण मौसम में आए परिवर्तिन के चलते फसल में पीलापन आ गया है। यह डाउनी मिल्डयू और व्हाइट रॉड (जड़ की बीमारी) बीमारी का मिक्स होना सामने आ रहा है। इस पीलेपन के कारण सल्फर की कमी भी नजर आ रही है।

अगर फसल 60 दिन के अंदर की हे तो अमोनियम सल्फेट खाद का भुरकाव करें और 60 दिन से ज्यादा की होने पर 18-18-18 का 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल मिलाकर स्प्रे करें। दोनों का उपयोग एक साथ न करें। इसके बाद पीलापन कम हो जाए और बाद में बीमारी दिखाई देने पर रेडोमिल या क्रेलेकजिल 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें।

बंपर हुई बुवाई लेकिन बीमारी से परेशान –

इन दिनों लहसुन की फसल में पीलापन दिखाई दे रहा है। क्षेत्र के अधिकांश खेतों में लहसुन की बंपर बुवाई हुई। बुवाई के समय से ही गर्मी थी लेकिन कुछ दिन सर्दी का मौसम रहा है। महंगे दामों पर बीज खरीद कर बुवाई की है लेकिन लगातार गर्मी के कारण फसल की पैदावार पर भी असर पड़ रहा है। वैज्ञानिकों ने बताया कि लहसुन की फसल में तापमान व सिंचाई कम ज्यादा के कारण जड़ों में फफूंद लगने व वाईट फ्लाई के कारण पीलापन आ रहा है। इसके लिए दवाइयों के छिड़काव की सलाह दे रहे हैं। – आशाराम यादव, अनारद, किसान

तापमान ज्यादा होने से फसल प्रभावित –

तापमान ठंडा गर्म होने से भी बीमारियां आ रही हैं। क्षेत्र में इस बार अधिक लहसुन की बुवाई हुई है। दिसंबर में भी तापक्रम उच्च स्तर पर रहने से थ्रीप कीट रोग लग रहा है। रोग से बचाव के लिए सिस्टेमिक कीटनाशक व फंजीसाइट का छिड़काव कर रहे हैं फिर भी फसलों से बीमारी जाने का नाम नहीं ले रही है। – कुंजीलाल कामदार, किसान, सकतली



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