धार। धार महाराज द्वारा जनकल्याण हितार्थ दी गई जमीन के घोटाले मामले में मंगलवार को जमानत अर्जी पर निर्णय नहीं हो पाया है। बुधवार को कोर्ट जमानत अर्जियों पर अपना फैसला सुना सकती है।
इधर मंगलवार को इंदौर हाईकोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई होना थी। वहीं धार में अधिवक्ता आशीष चौबे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जमीन घोटाले के मामले में आरोपियों की ओर से पक्ष रखा।
उन्होंने कहा कि संबंधित खबरों में 247 करोड़ कीमत की जमीन बताई जा रही है। यह आंकड़ा अप्रमाणित और गलत है। जमीन इतने करोड़ की नहीं है। 5 हजार रुपये स्क्वायर फीट के हिसाब से भी इसकी कीमत 25 करोड़ के लगभग है।
ना दान की ना ट्रस्ट की है जमीन
निजी होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस में जमीन से संबंधित विषय को लेकर अधिवक्ता चौबे ने कहा कि 1980 से लेकर 2015 तक विभिन्न दीवानी न्यायालयों से फैसले डॉक्टर ईपी दास और सुधीर दास के पक्ष में हुए हैं। जमीन कभी भी धार महाराज द्वारा दान में नहीं दी गई है।
वहीं उन्होंने बताया कि दीवानी मामलों के दौरान ट्रस्ट और संस्था के खिलाफ आदेश हुए हैं। न्यायालय में शासन की और से कभी भी वाद दायर नहीं किया गया है और ना ही पक्ष रखा गया है।
सभी विभागों की अनुमतियां
अधिवक्ता चौबे ने कहा कि भूमि के संबंध में सरकारी विभाग द्वारा डायवर्शन आदेश, नजूल का आपत्ति प्रमाण पत्र और नगरपालिका द्वारा निर्माण की अनुमति दी गई है। संपूर्ण दस्तावेज देखकर क्रेताओं ने उप पंजीयक कार्यालय धार से रजिस्ट्रियां करवाई है। खरीदने वाले दोषी नहीं बल्कि फरियादी हैं। सिविल नेचर के मामले में पुलिस ने अपराधिक कार्रवाई की है, जो गलत है।
मीडिया के इन सवालों पर रहे निरुत्तरः
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अधिवक्ता चौबे द्वारा मीडिया के समक्ष वह तमाम बातें रखी जो जमानत अर्जियों की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश के समक्ष प्रमुखता से रखी जा सकती है। हालांकि इस दौरान मीडिया के सवालों को लेकर लगभग निरुत्तर रहे।
प्रश्न- दान में यदि जमीन नहीं दी है तो दास परिवार ने किसी से तो क्रय करके मालिकी हक प्राप्त किया होगा। इसके पूर्व की रजिस्ट्रियों की जानकारियां बताइये, जो दास के मालिकी हक को प्रमाणित करें।
उत्तर- दस्तावेज होंगे, अभी फिलहाल जानकारी नहीं है।
प्रश्न- मुख्य आरोपी सुधीर दास ने जमीन क्रय करने के दौरान स्वयं को आदिवासी बताया है। विवादित भूमि को विक्रय करने के दौरान ईसाई बनकर विक्रय किया है। दास ने किस खरीदी में धोखा दिया।
उत्तर- श्री दास ईसाई हैं इसकी मुझे जानकारी है। आदिवासी बनकर जमीन खरीदने की जानकारी मुझे नहीं है।
प्रश्न- सुधीर दास के चाचा कमलाकर दास ने कहा कि हम गौंड आदिवासी है, दस्तावेज भी दिए। विवादित भूमि को बगैर 165 (6-क) की अनुमति के बगैर विक्रय किया गया है।
उत्तर- वह ईसाई हैं। 165 (6-क) की अनुमति आवश्यक नहीं है।
प्रश्न- विवादित भूमि सर्वे नंबर 29 कुल रकबा 3.074 हेक्टेयर की कीमत आप 25 करोड़ बता रहे हैं। गाइडलाइन से 150 के करोड़ के करीब है और मार्केट वैल्यू से 250 करोड़ के लगभग है।
उत्तर- हम निर्माण किए गए भूमि की कीमत की बात कर रहे हैं। शेष भूमि रिक्त है और स्कूल का संचालन हो रहा है। 247 का आंकड़ा अधिकारिक रूप से प्रमाणित नहीं है।
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