मध्यप्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के आरक्षण के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में दायर कांग्रेस नेताओं की याचिका पर सोमवार 13 दिसंबर को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्च द्वारा महाराष्ट्र सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाए जाने के विरुद्ध दायर याचिका के साथ सुनवाई करने का निर्णय लिया गया है।
कांग्रेस नेताओं सैयद जाफर और जया ठाकुर द्वारा याचिका दायर की गई है। इसमें 2014 के आरक्षण से चुनाव कराने और 2019 के परिसीमन को निरस्त करने की आपत्ति उठाई गई है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार करने पर कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। ग्वालियर खंडपीठ का निर्णय आने के बाद कांग्रेस नेता सैयद जाफर और जया ठाकुर ने 7 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसकी पैरवी सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने की।
दरअसल, सरकार ने 2019-20 में पंचायत चुनाव का आरक्षण निर्धारित कर दिया था। इसकी अधिसूचना जारी हो गई थी। इस पुरानी अधिसूचना को निरस्त किए बिना सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से नई अधिसूचना जारी कर दी।
राज्य सरकार ने 21 नवंबर 2021 को आगामी पंचायत चुनाव को 2014 के आरक्षण रोस्टर के आधार पर कराने की घोषणा की है। याचिका में कमलनाथ सरकार के समय हुए परिसीमन को निरस्त करने और 2014 की स्थिति में लागू परिसीमन व आरक्षण के आधार पर पंचायत चुनाव कराने पर आपत्ति उठाई गई है।
बता दें कि इस मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने 9 दिसंबर को मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट में करीब 40 मिनट तक बहस चली थी। फैसले के बाद वरिष्ठ वकील व कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने बताया था कि वे अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।