भोपाल। प्रदेश सरकार ने तीन चरणों में पंचायत चुनाव की घोषणा कर दी है। इधर ग्वालियर हाईकोर्ट में पंचायत चुनाव में परिसीमन और आरक्षक को लेकर दायर की गई तीन याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ एवं दीपक अग्रवाल की युगलपीठ में सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रदेश के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तंखा पेश हुए हैं। वहीं सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह और अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी शामिल हुए। एडवोकेट विवेक तन्खा ने पंचायत चुनाव को लेकर कई याचिकाओं के लगे होने की बात कहते हुए सभी को जबलपुर हाईकोर्ट में एक साथ सुने जाने की बात कही है। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने दो सप्ताह में इस संबंध में जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट में शनिवार को पंचायत चुनाव को लेकर दायर की गई तीन अलग-अलग याचिकाओं पर शनिवार को युगल पीठ ने सुनवाई की है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि पंचायत राज अधिनियम में संविधान चुनाव को लेकर स्पष्ट उल्लेख है कि हर चुनाव के पहले डिटरमिनेशन और रोटेशन की प्रक्रिया अपनाई जाए, लेकिन सरकार ने हाल ही में जो राज्यपाल के हवाले से संशोधित अध्यादेश निकाला है।
उसमें 2014 के अनुरूप ही परिसीमन और आरक्षण का निर्धारण किया गया है, जबकि यह रोटेशन के आधार पर होना चाहिए था। इसे लेकर मुख्य पीठ जबलपुर खंडपीठ इंदौर में भी कई याचिकाएं लंबित है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तंखा ने कहा कि इन सभी याचिकाओं को मुख्य पीठ जबलपुर में स्थानांतरित किया जाए और तब तक अंतरिम आदेश इस चुनाव की प्रक्रिया को रोकने के लिए निकाला जाए। जिससे इन पर एक साथ सुनवाई हो सके।
इस पर महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि इस मामले में अंतरिम आदेश फिलहाल नहीं दिया जाए और सरकार को जवाब के लिए 1 महीने का समय दिया जाए, लेकिन याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने कहा कि यदि सरकार ने चुनाव प्रक्रिया आरंभ कर दी तो उनके पास कोई विकल्प नहीं बचेगा। इसलिए जल्द ही इस मामले की सुनवाई नियत की जाए।
इस पर मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और दीपक अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सरकार को जवाब पेश करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है। ग्वालियर में तीन याचिकाओं पर संयुक्त रुप से सुनवाई हुई।
यह ख़बर दैनिक भास्कर से ली गई है।