इंदौर। प्रदेश का सबसे संक्रमित जिला इंदौर और इसकी सबसे संक्रमित तहसील महू रही। महू में संक्रमण की दर कई जिलों से भी अधिक थी। ऐसे में उम्मीद थी कि यहां वैक्सीनेशन का काम भी तेजी से होगा लेकिन शुरुआती दिनों की कवायद के बाद अब हालात ऐसे नहीं हैं।
करीब महीने भर पहले महू शहर में बनाए गए ड्राइव इन वैक्सीनेशन सेंटर की काफी तारीफें हुईं थीं। यहां वैक्सीन लगवाने के लिए हजारों की भीड़ पहुंच रही थी।
हालांकि अब यह वैक्सीनेशन सेंटर पिछले करीब हफ्तेभर से बंद है। सेंटर कब शुरु होगा इस बारे में स्थानीय बीएमओ को भी कोई जानकारी नहीं है।
महू तहसील पर अपने अलावा पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र की एक बड़ी आबादी का भी दबाव है। जो यहां रोजाना वैक्सीन लगवाने पहुंच रही है।
पीथमपुर में वैक्सीनेशन की व्यवस्था लचर है और वहां फैक्ट्रियों में वैक्सीनेशन के प्रमाण के बिना प्रवेश की अनुमति भी नहीं मिल रही है। ऐसे में मजदूर परेशान हैं क्योंकि वैक्सीन मिल नहीं रही है और ऐसे में अब उनकी नौकरी पर भी संकट दिखाई दे रहा है।
महू के ड्राइवइन वैक्सीनेशन सेंटर पर पहुंचे पीथमपुर की फार्मा कंपनियों के मजदूरों ने बताया कि उन पर रोजाना वैक्सीन लगवाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
पीथमपुर में वैक्सीन लग नहीं रही है। ऐसे में वे धार या महू जाने को मजबूर हैं। महू शहर के वैक्सीनेशन सेंटरों पर इंदौर शहर की आबादी भी वैक्सीन लगवाने के लिए पहुंच रही है।
महू में कोरोना संक्रमण की दोनों लहरों में करीब ढ़ाई सौ से अधिक लोगों की आधिकारिक पुष्टी स्वास्थ्य विभाग अपने आंकड़ों में कर चुका है। ऐसे में उम्मीद थी कि यहां वैक्सीनेशन का काम बड़े पैमाने पर होगा।
बीमारी के फैलाव के दौरान यहां पदस्थ रहे आईएएस अधिकारी अभिलाष मिश्रा ने इसके पूरे इंतज़ाम भी किये और जो कुछ हद तक सफल होते नजर भी आए लेकिन अब वैक्सीन की कमी के साथ स्थिति बदल चुकी है।
बीएमओ योगेश सिंगारे के मुताबिक फिलहाल रोजाना करीब दस हजार वैक्सीन की जरूरत है लेकिन तहसील को एक-दो दिनों के अंतराल में केवल एक हजार वैक्सीन ही मिल रहीं हैं। ऐसे में तहसील में पूरी तरह अभियान चलाना मुश्किल है।
एक बेहद महत्वपूर्ण छावनी क्षेत्र होने के बावजूद महू शहर में वैक्सीनेशन बंद है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक वे अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर अभियान चला पा रहे थे और रोजाना करीब 35-40 स्थानों पर वैक्सीनेशन कर रहे थे लेकिन अब यह संख्या केवल चार से पांच रह गई है।
वैक्सीनेशन की रफ्तार लगभग थम चुकी है। शहरी और ग्रामीण इलाकों में लोग इसे लेकर बेहद परेशान हैं। लोगों के मुताबिक कोविडशील्ड वैक्सीन का दूसरा डोज़ लगाने के लिए समयसीमा बढ़ा दी गई। जिसके चलते लोग अब तक इंतजार कर रहे हैं।
वहीं अब कोवैक्सीन का दूसरा डोज़ लगवाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। महू शहर के रहने वाले मनीष पाल के मुताबिक उन्हें अपने पिता को दूसरा डोज लगवाना है लेकिन कई दिनों से वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
पहले और दूसरे डोज लेने वालों की संख्या से वैक्सीनेशन की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। इसकी पुष्टी स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े ही कर रहे हैं।
विभाग के आंकड़ों के मुताबिक सोमवार को चार गांवों में 1132 डोज लगाए गए। वहीं अब तक महू तहसील में 238741 लोगों को वैक्सीन लगाई गई है। इनमें पहला डोज 200368 लोगों को और दूसरा डोज 38373 को ही मिला है।
इन आंकड़ों में ज्यादातर वे आम लोग हैं जिन्होंने प्रशासन द्वारा बनाए गए सेंटरों पर वैक्सीन लगवाई है वहीं बहुत से ऐसे लोग हैं जो निजी अस्पतालों में पैसे देकर वैक्सीन ले चुके हैं।
वैक्सीनेशन की इस कमी को पूरा करने के लिए कांग्रेस के नेता पुनीत शर्मा ने वैक्सीनेशन सेंटर पर जाकर प्रदर्शन भी किया और उनके इस प्रदर्शन में पीथमपुर और महू के वे लोग भी शामिल हुए जो वैक्सीन लगवाना चाहते थे।
शर्मा के मुताबिक वे यह लड़ाई एक नागरिक होने के नाते लड़ रहे हैं इसमें राजनीति नहीं हैं। वे कहते हैं कि महू के लोग जागरुक हैं और लगातार ही शासन प्रशासन का सहयोग करते रहे हैं लेकिन अब परेशानी बढ़ चुकी है और यह अगर जारी रहा तो वे इस व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए आंदोलन करेंगे।