इंदौर। महू तहसील के मानपुर क्षेत्र में बहने वाली पहाड़ी नदी अजनार को बचाने के लिए इन दिनों एक बड़ा आंदोलन चल रहा है। यह आंदोलन स्थानीय आदिवासियों ने खुद खड़ा किया है और इसमें उन्हें पर्यावरण और सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी साथ मिल रहा है।
रविवार को इस आंदोलन के तहत आदिवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मानपुर में जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग पहुंचे थे। इन सभी ने अजनार नदी को हुए नुकसान के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की। आदिवासियों ने इस नदी को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने के लिए भी प्रशासन से कहा।
इस विरोध प्रदर्शन में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, महेंद्र कन्नौज, डॉ आनन्द राय, विधायक पांचीलाल मेढ़ा, अंतिम मुजाल्दे, सीमा वास्केल सहित इंदौर, उज्जैन, देवास आदि संभागों से आए आदिवासी समाज के लोग और महाराष्ट्र और गुजरात के सामाजिक कार्यकर्ता शामिल रहे।
इन सभी ने पहले मली गांव में अजनार नदी के किनारे जाकर प्रशासन के खिलाफ अपना विरोध जताया इसके बाद मानपुर थाने पर पहुंचे और प्रदर्शन किया।
इस भीड़ को नियंत्रण करने के लिए इंदौर से पुलिस बल बुलाया गया था। वहीं एसपी पश्चिम महेश चंद्र जैन भी मौके पर पहुंच गए। महू से एसडीएम अभिलाष मिश्र भी यहां मौजूद रहे।
आदिवासी समाज के लोगों ने पुलिस पर अजनार नदी में जहरीला रसायन छोड़ने वाले असली आरोपियों पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया।
समाज के लोगों के मुताबिक मानपुर के एक व्यवसायी इसके लिए जिम्मेदार हैं लेकिन पुलिस कई शिकायतों के बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र कन्नौज ने इसे एक नदी को पूरी तरह खत्म करने का कदम बताया। उन्होंने कहा कि नदी को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के पास राजनीतिक संरक्षण है इसलिए पुलिस उन पर कार्रवाई नहीं कर रही है।
इन आदिवासियों ने एसपी महेश चंद्र जैन से मानपुर थाने के टीआई हितेंद्र सिंह राठौर को लेकर भी शिकायत की। उन्होंने कहा कि राठौर ने कई शिकायतों के बाद भी असली दोषियों पर कार्रवाई नहीं की। इस शिकायत पर एसपी ने टीआई को थाने से हटाने का आश्वासन भी दिया।
इस भीड़ ने काफी देर तक अपना यह प्रदर्शन जारी रखा। इस दौरान नेशनल हाईवे का ट्राफिक भी बाधित होता रहा। इस प्रदर्शन के साथ ही आदिवासियों ने यहां अपनी ताकत दिखाई है।
ज़ाहिर है अब भी यदि पुलिस और प्रशासन गंभीर नहीं हुए तो आने वाले दिनों में यह विरोध और भी तेज़ होता दिखाई दे सकता है।
यह है पूरा मामला…
क्षेत्र की कालीकिराय पंचायत के तहत आने वाले मली गांव में बहने वाली अजनार नदी को लेकर करीब महीने भर से मुद्दा गर्म है। इस नदी के किनारे कुछ लोगों ने जहरीले रसायनों का अपशिष्ट छोड़ दिया था। जिसके बाद नदी गंभीर रुप से प्रदूषित हो गई और इसका पानी जहरीला हो गया। इससे नदी में मछलियां और दूसरे जीव तो मरे ही आसपास की वनस्पति को भी नुकसान हुआ।
गांव में रहने वाले चालीस आदिवासी परिवारों पर भी इसका असर हुआ। उनके नलकूप प्रदूषित हो गए और नदी का पानी पीने वाले उनके मवेशी मर गए। जिसके बाद गांव के आदिवासी लगातार दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि पुलिस और प्रशासन असली दोषियों को बचा रहे हैं क्योंकि वे क्षेत्र के रसूखदार लोग हैं और उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।