धार। कोरोना महामारी के कारण किसानों को लगातार दो साल से खेती में घाटे का सौदा हो रहा है। लगातार दो साल से किसानों को अपनी उपज का सही दाम तक नहीं मिल पा रहा है।
इस कोरोना महामारी के कारण किसान पिछले दो सालों से किसानी में घाटे का सौदा कर रहा है। इस बार उम्मीद थी कुछ कमाई कर पाएंगे, लेकिन फिर कोरोना ने किसानों की कमर तोड़ दी।
इस कोरोना वायरस संक्रमण ने हर किसी को प्रभावित किया है, लेकिन हमारे अन्नदाता किसान भाई पर यह गहरी छाप छोड़ रहा है। धार के आसपास के सैकड़ों किसानों की लाखों रुपये की सब्जियों की फसलें खराब हो रही हैं।
खेतों में सब्जियां तैयार हैं, लेकिन किसान बेच नहीं पा रहे। उधर शहर में लोग अधिक कीमत पर खरीदने को राजी हैं, लेकिन माध्यम नहीं मिल रहा। ऐसे में किसानों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
ऐसे में किसानों के पास अपनी उपज जानवरों को खिलाने व फेंकने के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं बचा है। धार के आसपास ऐसे सैकड़ों किसान हैं जो सब्जियों की खेती करते हैं।
हकीकत जानने के लिए देशगांव संवाददाता आसपास के गांवों में पहुंचा और किसानों की परेशानी से रूबरू हुआ। किसानों की परेशानी सुनी और देखी। किसानों की फसलों को सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं तो कोई खरीदने वाला नहीं मिल रहा है।
स्थानीय किसान विजय गोस्वामी ने अपने खेत में ककड़ी, शक्कर बट्टी, तरबूज, गिलकी जैसी फसल लगाई है। सभी सब्जियां धार की मंडी में बिकने जाती थी, लेकिन अब बेचने नहीं दी जा रही।
किसान विजय गोस्वामी बताते हैं कि
धार से लोगों को आने नहीं दिया जा रहा। ऐसे में लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। उन्होंने लगभग पांच बीघा में सब्जी लगाई है, उसे हम गांव में लोगो को खिला रहे हैं। बाकी यहीं खेत में खराब हो रही हैं। एक बीघा खेत में गोभी भी लगाया है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण क्या होगा कुछ पता नहीं।
गांव के ही एक अन्य किसान जितेंद्र पटेल ने बताया कि
हमने एक बीघा में धनिया लगाया मगर कोई खरीदने वाला ही नहीं मिल रहा है और ना हम मंडी ले जा पा रहे हैं। हम गांव व आसपास के गांव के लोगों को बोलकर ले जाने के लिए कह रहे हैं। हम लागत में बेचने को राजी हैं, लोग शहर में ज्यादा में खरीदने को तैयार हैं मगर हम मजबूरन सब्जियां जानवर को खिला रहे हैं।
फसल ले जाने की व्यवस्था हो –
सकतली गांव में ही किसान आत्माराम यादव ने बताया कि सब्जी तो लगाई है मगर बेचने कहां जाए। मंडिया बंद हैं और भाव भी नहीं है। वहीं फसलें तीन-चार दिन में आ जाएंगी। उसे तोड़ा नहीं गया तो खराब होने लगेगी, क्या कर सकते हैं।
अन्य किसान कालू डोडिया का कहना है कि सरकार को इनको बेचने की छूट देना चाहिए या यहां से आकर कोई ले जाए, इसका प्रबंध करना चाहिए। हमने कर्ज लेकर फसल बोई, लेकिन लागत भी नहीं निकल रही। वही गांव के अन्य किसानों की फसल भी खेत में ही खराब हो रही हैं।
टूट-टूट कर गिरने लगे टमाटर व धनिये में उगने लगे झंडू –
मगोद में किसान आशीष गोस्वामी ने दो एकड़ में टमाटर की फसल लगा रखी है। यहां पहुंचे तो अजित नाम के किसान मिले जो पानी दे रहे थे। उन्होंने बताया कि टमाटर के पौधे फल-फूल रहे हैं। टमाटर पककर टूटने लगे हैं, फसल पकी हुई है, लेकिन बेचने नहीं दी जा रही। न हमारी गाड़ियां मंडी में जा रही हैं न यहां लोग आ पा रहे हैं। ऐसे में फसल बर्बाद हो रही है, लागत तो दूर मजदूरों की मजदूरी भी नहीं निकल रही। हजारों रुपये का धनिया बीज लिया था मगर वह पक कर तैयार हो गया मगर मंडी बंद होने के कारण कोई लेने वाला नहीं आया जिसके कारण धनिया में झंडू उग आए व धनिया खराब हो गई जिससे हमें लाखों का नुकसान हुआ।
हजारों रुपये की सब्जी की फसल खराब हो गई –
किसान आशाराम यादव बताते हैं कि खेतों में जो फसल लगा रखी है। शहर से सटा गांव होने से यहां से फसल धार बिकने जाती है, लेकिन आवाजाही और मंडी बंद होने से नहीं जा पा रही। किसानों को मंडी रोड पर भी सब्जी बेचने की अनुमति नहीं दी जा रही। ऐसे में हजारों परिवार, जो सब्जी खरीदना चाहते हैं, उन्हें सब्जी नहीं मिल रही और किसान आंखों के सामने अपनी फसल खराब होते देख रहा है।