पैसा नहीं मिलने से किसान हो रहे परेशान, समर्थन मूल्य पर की थी गेहूं की बिक्री


जिले में हजारों किसान ऐसे हैं जिन्हें समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के बाद भी कई हफ्ते बीत जाने के बाद भी पैसा नहीं मिला है। किसान कभी सोसायटी के चक्कर तो कभी बैंक के चक्कर काट रहे हैं।


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इन्दौर Updated On :
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इंदौर। इंदौर जिले व पूरे मध्यप्रदेश में इन दिनों समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का ‌काम शासन स्तर पर चल रहा है। इसके बावजूद जिले में हजारों किसान ऐसे हैं जिन्हें समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के बाद भी कई हफ्ते बीत जाने के बाद भी पैसा नहीं मिला है। किसान कभी सोसायटी के चक्कर तो कभी बैंक के चक्कर काट रहे हैं।

बता दें कि कोरोना महामारी की वजह से किसानों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। जिम्मेदार जनप्रतिनिधि व अधिकारियों के रवैये से किसान चिंतित व परेशान हैं।
नियमानुसार शासन खुद एक हफ्ते के अंदर गेहूं खरीदी का भुगतान करने की बात करता है लेकिन, जिम्मेदारों का ध्यान किसानों की समस्याओं पर नहीं है।

ऐसे ही एक पीड़ित किसान छोटू यादव ग्राम कछालिया ने 27 मार्च को 506 क्विंटल गेहूं सरकारी खरीदी केंद्र कछालिया में बेचा था जिनकी राशि 9 लाख 99 हजार 350 रुपये है, लेकिन उनका पैसा अब तक नहीं मिला है।

इसकी शिकायत उन्होंने सीएम हेल्पलाइन पर भी की, लेकिन वहां पर भी सुनवाई नहीं हो रही। दूसरे पीड़ित किसान मनोहर सिंह दरबार गांव हरियाखेडी ने बताया कि उन्होंने भी 27 मार्च को 950 क्विंटल गेहूं बेचा था। इसकी राशि 18 लाख के आसपास है, जो अब तक उन्हें नहीं मिली है।

भारतीय किसान एवं मजदूर सेना के प्रदेश अध्यक्ष बबलू जाधव ने बताया कि

जिलेभर में करीब दो से ढाई हजार किसानों को अब तक अपने गेहूं का पैसा नहीं मिला है। पहले किसान लॉकडाउन की वजह से परेशान व चिंतित है क्योंकि पिछले साल लॉकडाउन में किसानों का दूध नहीं बिक पाया। सब्जी व अन्य फसल खेतों में खराब हो गई थी। इससे उन्हें काफी नुकसान हुआ। इसकी क्षतिपूर्ति भी शासन द्वारा नहीं की गई और न कोई राहत पैकेज दिया गया।

बता दें कि इस वर्ष भी पिछले वर्ष की ही तरह किसानों के वही हालात बने हुए हैं। लॉकडाउन के चलते किसानों की कोई सुध नहीं ले रहा है जिससे किसानों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।

खरीदी केंद्रों पर कर्मचारियों की मनमानी के चलते किसानों के गेहूं को हलका-पतला बताकर गेहूं के ट्रालियों को वापस घर भेजा जा रहा है। साथ ही मंडियां बंद होने से किसान अपना गेहूं मंडियों में नहीं बेच पा रहे हैं।

इसका लाभ बिचौलिये और व्यापारी उठा रहे हैं। वे मजबूर किसानों की उपज को औने-पौने दाम लगाकर खरीद रहे हैं, जिससे किसानों का शोषण हो रहा है।



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