इंदौर। सरकार और प्रशासन चाहे जो भी दावे करे लेकिन फिलहाल कोरोना को लेकर स्थिति ठीक नहीं है। प्रदेश में फिलहाल महू सबसे संक्रमित तहसील है। आबादी के लिहाज़ से महू फिलहाल इंदौर जिनती ही खतरनाक है। आलम ये है कि सवा तीन लाख की आबादी वाली इस तहसील में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 761 एक्टिव केस हैं वहीं अप्रैल के पंद्रह दिनों में ही 1191 नए संक्रमित हो चुके हैं।
इस बीच अस्पतालों में व्यवस्था का संकट अहम हो चुका है। यहां अस्पतालों के पास मरीज़ों के इलाज के लिए पर्याप्त इंतज़ाम नहीं हैं। गुरुवार को जो 2790 रेमडेसिविर इजेक्शन आए थे उनमें से केवल 350 इंजेक्शन इंदौर के निजी अस्पतालों को मिले और महू के हिस्से कुछ नहीं आया। इन अस्पतालों में करीब दो सौ कोरोना संक्रमित भर्ती हैं और इनमें से निजी अस्पतालों में करीब करीब डेढ़ सौ मरीज़ हैं। जिनके लिए पिछले तीन दिनों में रेमडेसिविर इंजेक्शन अस्पातालों को नहीं दिए गए हैं।
हालांकि चौकाने वाली बात यह है कि इसके बावजूद भी मरीज़ों को इंजेक्शन मिल रहे हैं जबकि अस्पतालों के पास फिलहाल कोई इंतज़ाम नहीं है। कुछ निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के मुताबिक भर्ती होने के लिए आ रहे ज्यादातर मरीज़ों के पास दो से तीन रेमडेसिविर तक हैं। मरीज़ों के परिजन पहले से ही रेमडेसिविर इंजेक्शन लेकर आ रहे हैं।
खबरों की मानें तो शहर और आसपास के इलाकों के कुछ फार्मा व्यवसाय से जुड़े लोग इंजेक्शन की कालाबाज़ारी कर रहे हैं और यह कालाबाज़ारी बड़े पैमाने पर जारी है जिसकी ख़बर न तो स्थानीय प्रशासन को मिल पा रही है और न ही निजी अस्पतालों को।
रेमडेसिविर की कमी का आलम ये है कि पिछले करीब तीन दिनों से प्रशासन द्वारा सरकारी अस्पताल में बनाए गए कोविड केयर सेंटर में मरीज़ों को लगाने के लिए रेमडेसिविर नहीं मिले हैं। यहां 65 संक्रमित भर्ती हैं। इनमें सामान्य और गंभीर दोनों तरह के मरीज़ हैं। यहां करीब बीस मरीज़ों को रेमडेसिविर की जरुरत है।
वहीं निजी अस्पतालों की बात करें तो मेवाड़ा अस्पताल में 54 कोरोना संक्रमित हैं इनमें से 40 को ज़रूरत है। यहां 13 अप्रैल के बाद से रेमडेसिविर नहीं हैं।
तिवारी अस्पताल में बीस संक्रमित भर्ती हैं। इनमें लगभग सभी को रेमडेसिविर की ज़रूरत है लेकिन अस्पताल में दो दिनों से इंजेक्शन नहीं है।
गेटवेल अस्पताल में 42 संक्रमित हैं इन्हें दो दिनों में अस्सी रेमडेसिविर की ज़रूरत थी लेकिन केवल तीस मिले। इन तीस में से भी ज्यादातर मरीज़ों के परिजन खुद लेकर आए।
इस बीच यह याद रखा जाना चाहिए कि इंदौर में चार सरकारी अस्पातलों में भर्ती मरीज़ों के लिए पांच हज़ार का स्टॉक है वहीं निजी अस्पतालों में भर्ती प्रति चार मरीज़ों पर एक इंजेक्शन मिल रहा है।
कुछ मरीज़ों के परिजनों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि इंदौर, महू और आसपास के कुछ लोग दुकानों पर नहीं लेकिन बाहर रेमडेसिविर दे रहे हैं। इसके लिए वे करीब छह हज़ास से आठ हज़ार रुपये तक प्रति वायल पर रकम ले रहे हैं।
इन सभी अस्पतालों में अब ऑक्सीजन की कमी भी बनी हुई है। अस्पताल संचालकों को अक्सर पीथमपुर से इंतज़ाम करना पड़ रहा है लेकिन अब वहां भी दूसरे जिलों का दबाव है। ऐसे में ऑक्सीजन की उपलब्धता कम है। तिवारी अस्पताल के संचालक ने बताया कि अब उनके पास कोई ठोस उपाय नहीं है और वे शायद आगे मरीज़ों को न ले सकें।
इस बीच रेमडेसिविर का संकट खुद डॉक्टरों को भी परेशान किए हुए हैं। निजी अस्पतालों के कुछ डॉक्टरों के मुताबिक इससे पहले तक रेमडेसिविर इंजेक्शन के बिना भी मरीज़ ठीक हो रहे थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। यह वायरस के म्यूटेशन के कारण भी हो सकता है। हालांकि पिछले कुछ दिनों में जब से सार्वजनिक दुकानों पर रेमडेसिविर की कमी पैदा हुई है तब से कोरोना मरीज़ों की मृत्युदर में अचानक इज़ाफ़ा हो रहा है फिलहाल यह संकट डॉक्टरों की समझ से भी परे बना हुआ है।