इंदौर। ऑक्सीजन की आपूर्ती के भले ही कितने भी दावे किये जा रहे हों लेकिन फिलहाल हालात बदले नहीं है। इस बात की तस्दीक शहर के गुर्जर अस्पताल से होती है जहां रविवार को मरीजों के लिए ऑक्सीजन खत्म हो गई।
इस दौरान अस्पताल ने मरीजों के परिजनों से ही कह दिया कि वे ऑक्सीजन का इंतजाम कर लें। थोड़ी देर तक विवाद के बाद परिजन खुद ही अपने मरीज़ों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था करने में जुट गए। इसके बाद परिजन पीथमपुर पहुंचे और वहां से ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर अस्पताल आए।
इंदौर के भंवरकुआ इलाके में गुर्जर अस्पताल में परिजन मरीजों के ऑक्सीजन के लिए देर रात तक परेशान होते नजर आए। अस्पताल ने ऑक्सीजन खत्म होने पर हाथ खड़े कर दिये थे। इस बीच वेंटिलेटर पर एक मरीज़ की मौत भी हो गई।
मरीज के परिजनों मोनिका जायसवाल, विशाल मालवीय सहित अन्य परिजनों की मानें तो उन्हें अस्पताल से कहा गया कि उनके पास केवल दो-तीन घंटे की ही ऑक्सीजन है ऐसे में उनके मरीज़ को ऑक्सीजन की कमी पड़ सकती है।
बताया गया कि अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें अन्य अस्पताल में ले जाने की भी सलाह दी लेकिन अस्पतालों में तो पहले ही जगह नहीं मिल रही है ऐसे में परिजनों ने मरीज़ों को वहीं रखने का फैसला लिया।
इस पर अस्पताल ने फिर ऑक्सीजन की कमी की बात दोहराई जिसके बाद परिजनों को पीथमपुर से ऑक्सीजन सिलेंडर लाने की बात कही। अस्पताल ने परिजनों को एक पत्र भी दिया। जिसे दिखाकर वे पीथमपुर के एक प्लांट से ऑक्सीजन ला सके।
इसके लिए परिजनों ने प्लांट में दस हजार रुपये नकद जमा किये और 800 रुपये में एक सिलेंडर लेकर आए। इस बीच अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की खबर फैलती रही और बहुत से मीडियाकर्मी यहां पहुंच गए। इस बीच उक्त मरीज के परिजन ऑक्सीजन सिलेंडर लेक पहुंचते दिखे।
परिजनों से मीडियाकर्मियों ने सवाल पूछे और उन्होंने पूरी जानकारी दी। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने शुरुआत में इन आरोपों से इंकार किया। अस्पताल के डॉक्टर राजकुमार ने बताया कि दो सौ सिलेंडर रोज़ाना लगते हैं लेकिन रविवार को इनकी कमी हो गई जिसके चलते ऐसी स्थिति बनी।