सिंधिया के इस बयान से स्पष्ट हो रहा है कि जिस समय कांग्रेस में रहते हुए सिंधिया अकेला महसूस कर रहे थे तब उन्हें राहुल गांधी का साथ नहीं मिला।
यही नहीं सरकार गिराए जाते समय भी राहुल गांधी के द्वारा किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं लेने के आरोप भी लगे थे जो कि सिंधिया के इस बयान से काफी हद तक साफ होते नजर आ रहे हैं।
यही नहीं राहुल गांधी की इस उदासीनता का सीधा लाभ भारतीय जनता पार्टी ने उठाया और अपनी सरकार बना ली।
इससे पहले भी बहुत से आलोचक कह चुके हैं कि कांग्रेस इस हालत के पीछे भारतीय जनता पार्टी नहीं बल्कि कांग्रेस का ही वह नेतृत्व है जो कई अहम मौकों पर उदासीनता के भाव में रहता है।
उल्लेखनीय है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस पार्टी में रहते हुए खुद को प्रदेश के दो अन्य नेताओं से असुरक्षित महसूस कर रहे थे।
सिंधिया समर्थकों ने आरोप लगाया था कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह सिंधिया को परे रखते हुए सरकार चला रहे थे। इस दौरान कुछ एक मौकों पर कमलनाथ ने ज्योतिराज सिंधिया की सार्वजनिक रूप से भी उपेक्षा की।
इसका अंत तब हुआ जब बीते साल होली के मौके पर सिंधिया ने कांग्रेस का दामन छोड़कर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली उनके साथ उनके 22 विधायक भी गए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी बिखरती चली गई और फिलहाल यह पार्टी मध्य प्रदेश में सत्ता से काफी ज्यादा दूर नजर आ रही है।