धारः दो बीज कंपनियों पर एफआईआर के बाद अधिकारियों को हटाने की कोशिश


– मामला बीज उत्पादन में फर्जीवाड़े काः कंपनियों पर एफआईआर के बाद हड़कंप, कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को हटाने की कोशिश।
– 40 के लगभग कंपनियां धार में बीज व्यापार में सक्रिय, 2 पर कार्रवाई के बाद प्रशंसा की बजाय अधिकारियों को दबाने की कोशिश।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :
dhar-fake-seed-case

धार। बीज उत्पादक कंपनियों पर किसानों की शिकायतों के बाद धोखाधड़ी सहित कृषि अधिनियम की विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है। एफआईआर की कार्रवाई होने के बाद हड़कंप मच गया है।

इस तरह के फर्जीवाड़े में बीज प्रमाणीकरण अधिनियम की मिलीभगत भी सामने आई है। इसके बाद बचाव में प्रभावशाली लोग सक्रिय हो गए हैं। कार्रवाई को दबाने के लिए अब कार्रवाई करने वाले जिले के अधिकारियों को हटाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं, ताकि अधिकारियों के हटने के बाद मामले को कमजोर करके दोषियों को बचाया जा सके।

मिलना थी प्रशंसा, हटाने की साजिशें –

प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान माफियाओं पर कार्रवाई के लिए लगातार अधिकारियों को निर्देश दे कर कार्रवाई करवा रहे हैं। किसानों से किसी भी प्रकार की ठगी करने वालों को लेकर सीएम सख्त हैं।

इधर धार जिले में तो सीधे-सीधे किसानों को शामिल करके नकली बीज तैयार करने की प्रक्रिया की जा रही थी। किसानों की जागरूकता और शिकायत के बाद इस मामले में इस तरह से फर्जी उत्पादन के मामले का खलासा हुआ है।

ऐसे मामले में निष्पक्षता से कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को प्रशंसा मिलनी चाहिए थी, लेकिन प्रशंसा मिलने के पहले ही उन्हें हटाने के लिए प्रभावशाली लोग सक्रिय हो गए हैं।

सोमवार रात को मामले में एफआईआर दर्ज हुई और मंगलवार को अधिकारियों को कार्रवाई के बाद दूसरी जगह स्थानांतरित करने के लिए कवायद शुरू हो गई है।

धोखाधड़ी सहित कई धाराओं में प्रकरण –

सोमवार रात को अमझेरा थाने में इंदौर की कपनी ओजस्वी सीड्स और मालवा एग्रीटेक प्राइवेट लिमिटेड पर आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7, बीज नियंत्रण आदेश 1983 की धारा 9 एवं धारा 17, धारा 420, 468, 465 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।

दोनों कंपनियों ने सरदारपुर तहसील के मिडा क्षेत्र के दो अलग-अलग किसानों के खेत में बीज उत्पादन दर्शाते हुए उनका फर्जी पंजीयन किया था। किसान दुले सिंह और शिवनारायण ने दो-तीन माह पूर्व शिकायत की थी जिसके बाद कृषि विभाग के अधिकारी जांच कर रहे थे।

इधर कृषि विभाग द्वारा कार्रवाई में लेटलतीफी पर मिलीभगत के आरोप लगाए जा रहे थे। हालांकि सारे आरोपों को खारिज करते हुए जांच के पश्चात कृषि विभाग ने एफआईआर दर्ज कराई है।

इस दौरान किसानों ने कंपनी प्रतिनिधियों द्वारा मौके पर भागने के दौरान छोड़े गए बोरे, टैग एवं फर्जी हस्ताक्षर वाले फसल निरीक्षण प्रतिवेदन सहित कई सामग्री भी बतौर सबूत दिए थे।

40 कंपनियां सक्रिय, किसानों के हक में जांच हो –

कृषि विभाग की कार्रवाई के बाद बीज उत्पादन में कार्यरत कंपनियों की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं। दो की गलत नीतियों ने अन्य कंपनियों की कार्यप्रणाली को संदेह के दायरे में ला दिया है।

बता दें कि जिले में करीब 40 के लगभग कंपनियां बीज उत्पादन और विक्रय के कार्य में संलग्न हैं। ऐसे में भले ही किसानों की शिकायत पर इस तरह से फर्जी तरीके से उत्पादन दर्शाने के मामले का खुलासा हो गया है, लेकिन इस तरह का कार्य अन्य कंपनियां तो नहीं कर रही है। इसकी जांच जरूरी हो गई है।

प्रमाणीकरण संस्था की जांच हो –

इस मामले में बीज प्रमाणीकरण संस्था की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। चूंकि मामला कंपनियों से जुड़ा हुआ है। ऐसे में कंपनियों पर कार्रवाई के बाद प्रभावशाली सक्रिय हो गए हैं।

कंपनियों से ज्यादा फिक्र बीज प्रमाणीकरण संस्था की भूमिका की हो गई है। ऐसे में अब कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को ही दबाया जा रहा है। कोई आश्चर्य की बात नहीं कि फर्जीवाड़े में लिप्त प्रभावशाली मामले को दबाने के लिए अधिकारियों के तबादले करवा दें।

हमें किसानों की शिकायत मिली थी। इसके बाद उनके द्वारा दिए गए साक्ष्यों के आधार पर जांच की गई। इसके बाद कार्रवाई हेतु थाने में आवेदन दिया गया था। सोमवार को दो कंपनियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई है। मुझे जानकारी नहीं है कि हमें हटाने के लिए कोई प्रयास कर रहा है। हमने अपना कर्तव्य निभाया है।

– आरएल जामरे, उपसंचालक, कृषि विभाग, धार



Related