इंदौर। उपजेल महू एक बार फिर चर्चाओं में है। यहां आबकारी एक्ट में बंद एक कैदी को सुविधाएं देने और उससे मारपीट न करने के नाम पर उसके परिजनों से पच्चीस हजार रुपये की रिश्वत मांगी जा रही थी। यह रिश्वत एक संतरी अजेंद्र सिंह भदौरिया के द्वारा उपजेल के जेलर बृजेश मकवाना के नाम पर मांगी जा रही थी।
लोकायुक्त पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक कैदी का नाम दिलीप चौकसे था। जिसे अच्छा खाना देने, मारपीट न करने आदि के लिये उससे पच्चीस हजार रुपये की मांग की गई। कैदी ने इसके बारे में अपने परिजनों को बताया। परिजनों ने अपने एक पारिवारिक मित्र जितेंद्र सोलंकी को इसकी जानकरी दी। सोलंकी ने उपजेल प्रशासन को सबक सिखाने की ठानी और इसकी शिकायत लोकायुक्त पुलिस से की।
लोकायुक्त डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल ने जितेंद्र को पूरी तैयारी के साथ सोमवार सुबह पैसे लेकर उपजेल भेजा। इस दौरान लोकायुक्त पुलिस पहले ही सादी वर्दी में मौजूद थी। सोलंकी ने संतरी अजेंद्र सिंह राठौर को पैसे देने के लिए बुलाया तो संतरी ने मनीष बाली नाम के एक सफाई कर्मी को मौके पर भेजा और उसे तय रकम के साथ दो सौ रुपये खर्चे के देने के लिये कहा।
इसके बाद मनीष बाली आया और उसे जितेंद्र सोलंकी ने पैसे दे दिये। इसके तुरंत बाद लोकायुक्त पुलिस ने सफाईकर्मी को पकड़ लिया। लोकायुक्त ने उस पर दबाव डाला कि वह पैसे उसी व्यक्ति को जाकर दे जिसने उससे लेने के लिये कहा था। मनीष बाली ने उपजेल के मेन गेट पर पैसे जाकर अजेंद्र सिंह राठौर को दे दिये। इसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने तुरंत ही संतरी को पकड़ लिया।
लोकायुक्त ने इसके बाद अंदर जाकर राठौर के हाथ धुलवाए तो उसके हाथों में नोटों पर लगा रंग निकला। पूछताछ में राठौर ने बताया कि जेलर मकवाना ने इन पैसों की मांग की थी। इसके बाद लोकायुक्त पुलिस सफाई कर्मी, संतरी और जेलर मकवाना को किशनगंज थाने लेकर पहुंची जहां प्रकरण दर्ज किया गया।
इस कार्रवाई में लोकायुक्त की ओर से डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल, टीआई सुनील उईके, आरक्षक पवन पटोरिया, कमलेश परिहार, आशीष नायडू आदि का योगदान रहा।
महू उपजेल हमेशा से ही बदनाम रही है। बताया जाता है कि लोकायुक्त पुलिस द्वारा पकड़ा गया संतरी अजेंद्र सिंह राठौर सभी जेलरों को खास माना जाता है। उपजेल में कैदियों के भोजन को लेकर भी काफी शिकायतें हैं। बताया जाता है कि इन कैदियों को बेहद हल्के दर्जे का भोजन दिया जाता है और इसकी गुणवत्ता सुधारने और मारपीट न करने के लिये अक्सर कैदियों से मांग की जाती है।