डिजिटल मीडिया पर सरकार की लगामः OTT-सोशल मीडिया के लिए लाई सख्त नियम

Manish Kumar Manish Kumar
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने डिजिटल मीडिया पर लगाम कसने की तैयारी कर ली है। सरकार ने गुरुवार की दोपहर सोशल मीडिया, OTT प्लेटफॉर्म और डिजिटल न्यूज के लिए गाइडलाइन जारी की।

सोशल मीडिया के लिए जो कानून बनाए गए हैं, वो अगले तीन माह में लागू कर दिए जाएंगे ताकि उन्हें अपना मैकेनिज्म सुधारने के लिए वक्त मिल सके। OTT और डिजिटल न्यूज के लिए कानून उसी दिन प्रभाव में आ जाएंगे, जिस दिन सरकार नोटिफिकेशन जारी करेगी।

सरकार का कहना है कि आलोचना और सवाल उठाने की आजादी है, लेकिन सोशल मीडिया के करोड़ों यूजर्स की शिकायत निपटाने के लिए भी एक फोरम होना चाहिए।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को आय़ोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सोशल मीडिया पर अगर कोई गलत व आपत्तिजनक कंटेंट डाला जाता है तो उसे 24 घंटे के भीतर हटाना होगा।

साथ ही साथ उन्होंने कहा कि संबंधित प्लेटफॉर्म को सरकारी अधिकारी या कोर्ट के पछे जाने पर यह जानकारी उपलब्ध करवानी होगी कि यह कंटेंट सबसे पहले किसने पोस्ट की थी।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 

हमारे सामने शिकायत आई थी कि सोशल मीडिया अपराधियों, आतंकियों, हिंसा फैलाने वालों को प्रमोट करने का प्लेटफॉर्म बन गया है। भारत में वॉट्सऐप के 50 करोड़ यूजर्स हैं। फेसबुक के 41 करोड़ यूजर्स हैं, इंस्टाग्राम यूजर्स की संख्या 21 करोड़ और ट्विटर के 1.5 करोड़ यूजर्स हैं। इन सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल और फेक न्यूज की शिकायतें आई हैं। ये चिंताजनक बात थी इसलिए हमारी सरकार ने ऐसे प्लेटफॉर्म्स के लिए गाइडलाइन तैयार करने का फैसला लिया।

सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइंस –

  • सोशल मीडिया यूजर्स करोड़ों की तादाद में हैं। सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर इन यूजर्स को अपनी शिकायत के निपटारे के लिए एक फोरम मिले।
  • अगर कोई अदालत या सरकारी संस्था किसी आपत्तिजनक, शरारती ट्वीट या मैसेज के फर्स्ट ओरिजिनेटर की जानकारी मांगती है तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ये जानकारी देनी होगी।
  • ये व्यवस्था केवल भारत की अखंडता, एकता और सुरक्षा, इसके अलावा सामाजिक व्यस्था, दूसरे देशों से रिश्तों, रेप, यौन शोषण जैसे मामलों में लागू होगी।
  • हम बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को यूजर्स के आंकड़े बताएंगे। इन प्लेटफॉर्म को शिकायतों के निपटारे के लिए मैकेनिज्म बनाना होगा। एक अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी और इसका नाम भी बताना होगा।
  • इस अधिकारी को 24 घंटे के भीतर शिकायत दर्ज करनी होगी और इसका निपटारा 15 दिन के भीतर करना होगा।
  • यूजर के सम्मान खासतौर पर महिलाओं के सिलसिले में, अगर किसी की आपत्तिजनक तस्वीर पोस्ट करता है तो आपको शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर कंटेंट हटाना होगा।
  • इन कंपनियों को हर महीने एक रिपोर्ट देनी होगी कि कितनी शिकायत आई और उन पर क्या कार्रवाई की गई है।
  • अगर किसी सोशल मीडिया यूजर के कंटेंट को हटाना है तो उसे ऐसा करने की वजह बतानी होगी औन उनका पक्ष भी सुनना होगा।
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में यूजर के रजिस्ट्रेशन के लिए वॉलेंटरी वेरिफिकेशन मैकेनिज्म होना चाहिए।

सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने OTT और डिजिटल न्यूज पोर्टल्स के बारे में कहा कि सरकार चाहती है कि वे खुद को नियंत्रित करने की व्यवस्था खुद ही करें। जिस तरह फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड है, वैसी ही व्यवस्था OTT के लिए हो। इस पर दिखाया जाने वाला कंटेंट उम्र के हिसाब से बांटा जाए।

OTT और डिजिटल न्यूज के लिए गाइडलाइन –

  • OTT और डिजिटल न्यूज के लिए तीन चरणों का मैकेनिज्म होगा। इन सभी को अपनी जानकारियां देनी होंगी। रजिस्ट्रेशन की बाध्यता नहीं है, लेकिन जानकारी जरूर देनी होगी।
  • शिकायतों के निपटारे के लिए सिस्टम बनाया जाए। इन्हें सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी। इसे सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज या फिर इसी कद का कोई व्यक्ति लीड करेगा।
  • अगर किसी मामले में तुरंत एक्शन लिए जाने की जरूरत है, तो इसके लिए सरकार के स्तर पर एक व्यवस्था बनाई जाएगी, जो इस तरह के मामलों को देख सके।
  • फिल्मों की तरह ही OTT प्लेटफॉर्म को भी प्रोग्राम कोड फॉलो करना होगा। कंटेंट के बारे में उम्र के लिहाज से क्लासिफिकेशन करना होगा यानी कौन सा कंटेंट किस आयु वर्ग के लिहाज से उचित है। इसे 13+, 16+ और A कैटेगरी में बांटा जाएगा।
  • पैरेंटल लॉक यानी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे अभिभावक अपने बच्चे के लिए ऐसे कंटेंट को ब्लॉक कर सकें, जो ठीक नहीं है।



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