इंदौर। शहर में कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद एक कर्मचारी की तबीयत खराब हो गई जिसके बाद सही पूरा प्रशासनिक तंत्र सक्रिय है। कर्मचारियों को फिलहाल एम वाय अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां से उन्हें बॉम्बे अस्पताल में पहुंचाया गया है। बताया जाता है कि उनकी एक आंख की रोशनी कम हो गई है। हालांकि अब उनकी स्थिति सामान्य बताई जा रही है।
कोरोना वैक्सीन इन दिनों फ्रंटलाइन वर्कर्स को दी जा रही है। इनमें तमाम वे कर्मचारी शामिल हैं जिन्होंने कोरोना वायरस का सबसे आगे रहकर सामना किया। इसी कड़ी में शनिवार दोपहर चिड़ियाघर में महावत के रूप में काम करने वाले 56 साल के निगम कर्मचारी इश्तियाक अहमद को कोरोना वैक्सीन लगाई गई।
वैक्सीन लगने के कुछ समय बाद अहमद की तबीयत कुछ बिगड़ी और उन्हें दिखाई देना कम हो गया। इसके बाद चिड़ियाघर के कर्मचारी उन्हें एम वाय अस्पताल लेकर पहुंचे। सभी तरह की जांचों के बाद उन्हें एक निजी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया था।
बताया गया कि शनिवार तक उन्हें दाई आंख से दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन अब वे देख पा रहे हैं हालांकि उनकी आंखों की रोशनी आंशिक रूप से कमजोर हुई है। बॉम्बे
अस्पताल के डॉक्टरों ने उनकी मस्तिष्क की एमआरआई और एंजियोग्राफी भी की हालांकि ये सभी जांचे सामान्य पाई गई हैं लेकिन मस्तिष्क में खून पहुंचाने वाली नस में ब्लॉकेज पाया गया। संभव है कि यही उनकी आंखों की रोशनी कमजोर होने का अहम कारण रहा।
राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ संतोष शुक्ला के मुताबिक इश्तियाक अहमद का ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण भी उन्हें यह परेशानी हुई है। शनिवार को अहमद का ब्लड प्रेशर 220 था। इसके अलावा उन्होंने बताया कि 50 से अधिक उम्र के ब्लड प्रेशर शुगर जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों को ही वैक्सीन की सबसे ज्यादा जरूरत है।
यह है कि अब तक छह मरीजों को वैक्सीन लगाए जाने के बाद प्रतिकूल प्रभावों की शिकायत मिली है। इन मामलों में ब्लड प्रेशर अधिक होना एक अहम कारण पाया गया।